चमोली : चमोली जिले के गोपेश्वर हल्दापानी निवासी लोकसंस्कृतिकर्मी, सामाजिक सरोकारों से जुड़े और गढ़वाली पारम्परिक परिधानों के बेजोड़ शिल्पि के असमय मृत्यु नें लोगों को झकझोर कर रख दिया है। लोगों को विश्वास ही नहीं हो पा रहा है कि कैलाश भट्ट अब उनके बीच नहीं हैं। सोमवार को उनका देहांत हो गया। उनके निधन पर लोकसंस्कृतिकर्मीयों और अन्य हस्तियों नें शोक सांत्वना व्यक्त करते हुये उन्हें याद किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी, पदमश्री प्रीतम भरतवाण, पदमश्री कल्याण सिंह रावत, डाॅ दाताराम पुरोहित, संदीप रावत, उपासना सेमवाल, विजय वशिष्ठ, मनोज इष्टवाल, गोविंद नेगी, हरीश भट्ट, अतुल शाह, संजय चौहान सहित प्रदेश के विभिन्न शहरों से लोगों नें कैलाश भट्ट के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि लोकसंस्कृति का एक स्तम्भ हमेशा के लिए चले गया है।
नंदा देवी राजजात यात्रा से लेकर केबीसी के मंच तक छायी थी कैलाश भट्ट की पहाडी टोपी और मिरजई परिधान
कैलाश भट्ट की बेहतरीन कला की बानगी मिरजई परिधान और पहाडी टोपी का हर कोई मुरीद था। उन्होंने पहाड़ की बिलुप्ती के कगार पर पहुच चुकी यहां के परम्परागत परिधानों को नया जीवन प्रदान किया था। उन्होंने बहुत कम समय में गोपेश्वर को नयी पहचान पहचान दिलाई। कैलाश एक शिल्पी ही नहीं वरन सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़े लोकसंस्कृतिकर्मी भी थे। उनके बनाये मिरजई परिधान और पहाडी टोपी नंदा देवी राजजात यात्रा से लेकर केबीसी के मंच तक छायी रही। प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे, 2015 में गैरसैंण में आयोजित विधानसभा सत्र में डाॅ अनुसुया प्रसाद मैखुरी की ओर से सभी विधायकों को कैलाश भट्ट की पहाडी टोपी भेंट की गयी थी, जबकि केदार घाटी के लखपत राणा ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित विभिन्न हस्तियों को पहाडी टोपी भेंट की गयी थी। यही नहीं पौडी के शिक्षक धर्मेन्द्र नेगी ने केबीसी के मंच पर महानायक अमिताभ बच्चन को पहाडी टोपी भेंट की गयी थी। लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, इतिहासकार डाॅ. शेखर पाठक, पदमश्री प्रीतम भरत्वाण सहित कई हस्तियां उनकी बनाई टोपी पहनते हैं। लोगों के मध्य ये पहाडी टोपी बेहद पसंद की जाती रही। पौडी के एकेश्वर ब्लाॅक के ग्राम बिंजोली में एक जुलाई 1974 को जन्मे कैलाश को यह कला विरासत में मिली। कैलाश नें मैरून फतोगी, मैरून गोल टोपी, कुर्ता, पैजामा आदि ड्रेस तैयार करके अलग पहचान दिलाई। विगत दिनों गोपेश्वर रामलीला के लिए भी कैलाश भट्ट नें परिधान बनाये थे।


