कोटद्वार (गौरव गोदियाल): खतरनाक वायरस कोरोना की दहशत के चलते जहां लोग एक दूसरे के पास जाने से डर रहे हैं वहीं 108 एंबुलेंस के कर्मचारी दिन और रात मरीजों की सेवा कर रहे हैं।
कोरोनावायरस की महामारी से निपटने में आपातकालीन एंबुलेंस सेवा 108 के कर्मचारी दिन रात मेहनत कर रहे हैं। लॉकडाउन में कोरोना वॉरियर्स के रूप में मरीजों की जान बचाने के साथ संदिग्धों मरीजो को क्वाइरेंटाइन में भेजन का जिम्मा भी निष्ठा से निभा रहे हैं। किंतु अभी तक इन पर किसी नेता, समाजसेवी, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओ का ध्यान नहीं गया है । जबकि राज्य सरकार को भी इनको कोरोना योद्धा घोषित कर देना चाहिये था । अभी तक डॉक्टर, पुलिसकर्मी, पत्रकारों व नगरनिगम के कर्मचारियों का सम्मान करके कई लोग इनका हौंसला बढ़ा चुके है पर 108 के कर्मचारियों पर अभी किसी का भी ध्यान नहीं गया है । जिले के सभी 108 एंबुलेंसकर्मी कोरोना संक्रमण की जंग में फ्रंटलाइन पर रहकर संदिग्धों को आईसोलेशन सेंटर व क्वारेंटाइन सेंटर भी पहुंचा रहे हैं। साथ ही अन्य मरीजों को उपचार के लिए अस्पताल व गंभीरो को हायर सेंटर तक पहुंचा रहे हैं।
कार्मिकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण की आपदा के समय में देश की सेवा सौभाग्य हैं। पूरे जज्बे व तत्परता के साथ काम कर रहे हैं। एम्बुलेंस नर्सिंग स्टाफ और चालकों का कहना है कि उन्हें तब बहुत खुशी होती है जब वह स्वस्थ होने पर मरीजों को वापस घर छोडऩे जाते हैं। उन्हें लगता है चिकित्सकों की और हमारी मेहनत सफल हुई।
चालक जितेन्द्र नेगी का कहना है कि एम्बुलेंस सेवा 108 ज्वाइन करने के पीछे उद्देश्य ही जनसेवा करने का था।उन्होने बताया कि उनकी एक बस जीएमओयू कम्पनी में है । उन्होंने कहा जान-जोखिम में डालकर भी नहीं डगमगाना अपने माता-पिता से सीखा है, संकट की इस घड़ी में देश सेवा में 108 सेवा के कर्मचारी कैसे पीछे रह सकते हैं।
नर्सिग स्टाफ सीता ठाकुर ने कहा कि एम्बुलेंस 108 का काम ही इमरजेंसी सेवा देना है, फिर चाहे कोरोना हो या कुछ और। आमजन की सेवा करना हमारा धर्म है, फर्ज निभाते हुए जान जोखिम में डालकर सेवा कर रहे हैं, आगे भी करते रहेंगे।
एम्बुलेंस चालक हरीश प्रसाद का कहना है कि एम्बुलेंस 108 की सेवा में जब किसी को अस्पताल लाते हैं और वह वापस ठीक होकर घर जाता है तो उससे मिलने वाली दुआ ही हमारा सुरक्षा कवच है। हम साधन-संसाधनों के अलावा कर्म पर भरोसा करते हैं।
एम्बुलेंस नर्सिंगकर्मी सुमित सिंह राणा ने कहा कि हर वक्त अपने फर्ज के प्रति तत्पर रहते हैं। विपरित परिस्थितियों के बावजूद मरीजों को अस्पताल व क्वेरेंटाइन पहुंचा रहे हैं। ऐसे में मरीज पॉजिटिव है या निगेटिव यह लाते समय पता नहीं होता। घर-परिवार को चिंता रहती है, लेकिन इससे ज्यादा खुशी रहती है कि ऐसे संकट के समय में वह सेवा दे रहे हैं।



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