कालागढ़ (कुमार दीपक): मानसून वर्ष 2020 में रामगंगा बांध मण्डल ने रामगंगा बाँध कालागढ़ से पानी की निकासी के फलस्वरूप बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी गयी है । जो कालागढ़ व उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्र के लिए खतरे की घण्टी है । कोरोना महामारी का तीव्र दंश झेल रहे उत्तर प्रदेश के कई जनपद मुख्यतः बिजनौर आस पास क्षेत्र के सामने एक और बड़ी समस्या सिर उठाने वाली है।
कालागढ़ सिचाई विभाग द्वारा रामगंगा बाँध से बड़े पैमाने पर पानी की निकासी की जायेगी जिसको लेकर रामगंगा बांध मण्डल ने बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी गयी है जो एक बड़ा चिंता का विषय है । आपको बता दे इससे पूर्व 2010 में कालागढ़ बांध द्वारा की गयी पानी की निकासी के कारण बिजनौर जिले के कई क्षेत्रों को जान व माल का खतरा उठाना पड़ा था।
बता दें रामगंगा नदी का उद्गम स्थल हिमालय की शिवालिक पर्वत श्रृंखला , जनपद चमोली में स्थित है यह नदी अपने उद्गम स्थल से लगभग 158 किमी की यात्रा पूर्ण करने के बाद गढ़वाल जनपद में कालागढ़ ग्राम के पास मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है । कालागढ़ के समीप रामगंगा नदी पर रामगंगा बॉध का निर्माण किया गया है । बांध के निर्माण के फलस्वरूप वर्ष 1974 में परियोजना के प्रारम्भ से नदी में आने वाले समस्त पानी को रामगंगा जलाशय में संग्रहीत कर लिया जाता है । वर्षा ऋतु के बाद सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन हेतु नियमित मात्रा में ही जल की निकासी की जाती है, जिसके परिणामस्वरूप बॉध के नीचे के क्षेत्र में जहाँ से रामगंगा नदी होकर बहती है, लोगों द्वारा नदी के बहाव क्षेत्र में खेती एवं आबादी का विस्तार कर लिया गया है । यही नहीं, नदी के तलहटी क्षेत्र में भी खेती करके नदी के बहाव क्षेत्र में व्यापक रूप से अवरोध उत्पन्न किया हुआ है ।
ज्ञात हो कि प्रथम बार वर्ष 1978 के सितम्बर माह में द्वितीय बार वर्ष 1990 के सितम्बर माह में तथा आगे के वर्षों में भी , वर्ष 1998 एवं वर्ष 2000 में रामगंगा जलाशय अपनी पूर्ण क्षमता तक भरा जा चुका है । वर्ष 2010 के वर्षाकाल के दौरान रामगंगा जलाशय का जल स्तर 363.600 मी था जो कि अत्यन्त गंभीर स्थिति थी । रामगंगा जलाशय के जल संग्रहण क्षेत्र में अतिवृष्टि के कारण लगभग 2 लाख क्यूसेक जल रामगंगा नदी में बाँध से नीचे छोड़ना पड़ा था । वर्ष 2010 की इस अतिवृष्टि के कारण नदी के बहाव क्षेत्र में स्थित सामान्य अथवा खेती एवं आबादी को साधारण की अपेक्षा अधिक हानि हुई थी ।
अब वर्ष 2020 का मानसून शीघ्र ही प्रारम्भ होने को है यह भी सम्भव है कि वर्षा के कारण अपरिहार्य परिस्थितियों में हरेवली बैराज एवं खो बैराज , शेरकोट से भी समय – समय पर पानी की निकासी कि जाये । अतः यह आवश्यक होगा कि प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी वर्षा ऋतु एवं मानसून के प्रारम्भ होने से पूर्व ही बाढ़ से सुरक्षा के समस्त आवश्यक प्रबन्ध पूर्ण कर लिए जायें और रामगंगा नदी क्षेत्र की बाढ से प्रभावित होने वाले व्यक्तियों को समय पर सूचित करके उनको नदी के प्रभावी क्षेत्र से समयपूर्व ही हटा दिया जाये, जिससे किसी प्रकार की धन – जन इत्यादि की हानि न हो एवं किसी प्रकार की शान्ति व कानून व्यवस्था भंग होने की भी सम्भावना न रहे ।
सिचाई विभाग कालागढ़ के मुताबिक रामगंगा जलाशय का अधिकतम जलस्तर 365.30 मीटर है । तथापि यह जलस्तर 355.00 मीटर होने के पश्चात आवश्यकतानुसार जल की निकासी प्रभावी की जा सकती है। सिंचाई विभाग कालागढ़ के अनुसार 25 हजार क्यूसेक से 75 हजार क्यूसेक तक छोड़े गए पानी से निम्न बाढ , 75 हजार क्यूसेक से 1लाख 25 हजार क्यूसेक तक छोड़े गये पानी से मध्यम बाढ 1 लाख 25 हजार क्यूसेक से 1लाख 75 हजार क्यूसेक तक उच्च बाढ व 1लाख 75 हजार क्यूसेक से ऊपर निकासी किये गए पानी से अत्यन्त उच्च बाढ़ का खतरा है ।
Discussion about this post