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उत्तराखंड: सिडकुल घोटाले की जांच, फर्जी नौकरी का खुलासा, पांच साल बाद मुकदमा, ये हे पूरा मामला

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posted on : अगस्त 11, 2024 11:17 अपराह्न

देहरादून: देहरादून के राजपुर थाने में राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (सिडकुल) में फर्जी सेर्टिफिकेट्स के आधार पर नौकरी और निर्माण कार्यों में करोड़ों के घोटाले के मामले में सिडकुल की पूर्व सहायक महाप्रबंधक (मानव संसाधन) और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में पिछले लंबे समय से जांच चल रही थी। जांच के बाद सिडकुल के प्रबंधक (मानव संसाधन) करन सिंह नेगी की ओर से राजपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई।

शिकायत के अनुसार 2016 में सिडकुल ने सहायक महाप्रबंधक (मानव संसाधन) सहित विभिन्न पदों के लिए भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। रानीपुर, हरिद्वार निवासी राखी ने सहायक महाप्रबंधक पद के लिए आवेदन किया। जिसमें 10वीं, 12वीं, BSC और MB (मानव संसाधन) के शैक्षणिक योग्यता का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किए। इस पद के लिए न्यूनतम आठ वर्ष का कार्य-अनुभव मांगा गया था, जिसके लिए राखी ने इंजीनियरिंग कालेज रुड़की (कोर) व वर्ष 2007 से 2014 तक सिडकुल हरिद्वार में संविदा पर कार्य का अनुभव का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया। वर्ष 2017 में राखी को इस पद पर नियमित नियुक्ति दे दी गई।

नियुक्ति पर सवाल उठने के बाद 2018 में एसआईटी का गठन कर जांच के निर्देश दिए। एसआईटी जांच के दौरान कालेज आफ इंजीनियरिंग की ओर से जारी प्रमाण-पत्र और अन्य दस्तावेज जाली पाए गए। कालेज आफ इंजीनियरिंग ने बताया कि राखी ने कभी संस्थान में काम ही नहीं किया। सभी जांच रिपोर्ट आने के बाद अक्टूबर 2023 में सिडकुल प्रबंधन ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी हासिल करने वाली राखी को बर्खास्त कर दिया था।

SIT जांच में इस बात को भी खुलाया हुआ कि सिडकुल में नियुक्ति के लिए चालक पदों पर भी फर्जी प्रमाण-पत्र नौकरी दी गई है। चालक पद पर चयनित अमित खत्री निवासी मसूरी ने गुरुकुल विश्वविद्यालय वृंदावन मथुरा से वर्ष 2006 में कक्षा 10वीं द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण करना बताया। यह विवि आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश लखनऊ की ओर से संचालित होना बताया गया।

अमित का परीक्षा केंद्र भगवती देवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल अमित विहार कुकरा मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश बताया गया था। SIT ने जब गुरुकुल विश्वविद्यालय वृंदावन मथुरा से पत्राचार किया तो अमित के प्रमाण-पत्र फर्जी पाए गए। इसी तरह दूसरे चालक विकास कुमार ने भी इसी विवि से 10वीं उत्तीर्ण करने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया था, जो फर्जी पाया गया।

2012 से 2017 के बीच सिडकुल ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में औद्योगिक क्षेत्रों में निर्माण कार्य कराए थे। वित्तीय अनियमितता की शिकायत पर शासन ने वर्ष 2018 में आइजी गढ़वाल की देखरेख में SIT गठित कर जांच बैठा दी। इसी दौरान सिडकुल में नियुक्ति फर्जीवाड़ा भी सामने आया। इस दौरान कई आइजी बदले गए, लेकिन जांच पूरी नहीं हुई।

सिडकुल की ओर से जांच से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं कराए जा रहे थे। 2023 अक्टूबर में IG गढ़वाल करन सिंह नगन्याल ने जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। इसके बाद शासन ने फर्जी नियुक्ति को लेकर मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (सिडकुल) घोटाले की जांच एसआइटी को सौंपी गई, तो सिडकुल से लेकर शासन तक हलचल पैदा हो गई। SIT ने जब जांच शुरू की तो अधिकारियों ने मामले को दबाने का पूरा प्रयास किया और निर्माण कार्यों व भर्ती की फाइल देने में आनाकानी शुरू कर दी।

मुख्यमंत्री के कड़े रुख के चलते जांच में तेजी आई, लेकिन इसी बीच वर्ष 2021 में मुख्यमंत्री बदल गए और जांच फिर ठंडे बस्ते में चली गई। इस दौरान जांच धीरे-धीरे आगे बढ़ी। करीब पांच साल तक चली लंबी जांच के बाद जब अक्टूबर 2023 में जांच पूरी हुई और आइजी गढ़वाल करन सिंह नगन्याल जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी। अधिकारियों ने विस्तृत जांच रिपोर्ट के बावजूद कार्रवाई करने में नौ महीने लगा दिए।

2012 से 2017 के बीच सिडकुल ने प्रदेश के विभिन्न जनपदों में निर्माण कार्य कराए थे। इसमें नियमों को ताक पर रखकर उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) को ठेके दिए गए। UPRNN का आडिट कराए जाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग, वेतन निर्धारण व विभिन्न पदों पर भर्ती में गड़बड़ी समेत कई अनियमितता सामने आईं। शासन ने इन गड़बड़ियों का संज्ञान लेते हुए जांच के लिए वर्ष 2018 में IG/DIG गढ़वाल की अध्यक्षता में SIT गठित की थी।

SIT को अनियमितता बरतने वाले सिडकुल और UPRNN के अधिकारियों व कर्मचारियों को चिह्नित कर कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया, लेकिन शुरुआत में जांच बहुत धीमी गति से चली। वर्ष 2020 में आइजी गढ़वाल रहे अभिनव कुमार ने जांच में तेजी लाते हुए घपलेबाज अधिकारियों को चिह्नित करना शुरू किया था, लेकिन कुछ समय बाद ही उनका ट्रांसफर हो गया और जांच फिर ठंडे बस्ते में चली गई। 2023 में आइजी करन सिंह नगन्याल ने पदभार संभाला तो उन्होंने सभी जांच अधिकारियों के पेच कसे तो जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए समय निर्धारित किया। इसके बाद अक्टूबर 2023 में पूरी रिपोर्ट शासन को सौंपी गई।

SIT ने जांच रिपोर्ट के लिए 224 पत्रावलियां बनाई गई थी, जो पूरे प्रदेश से संबंधित थी। IG गढ़वाल परिक्षेत्र के नेतृत्व में बनी SIT में हर जिले के अधिकारियों को शामिल किया गया। जांच के लिए तकनीकी टीम भी बनाई गई थी। बताया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट में निर्माण कार्यों से संबंधित अनियमितताएं नहीं पाई गई हैं। जबकि, विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों में अनियमितता मिली हैं। इस मामले में कुछ अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है।

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