गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले के दशोली ब्लॉक की निजमुला घाटी में स्थित राजकीय इंटर कालेज व्यारा और उसके आसपास के इलाके भू-धंसाव की जद में आ गए है।
राजकीय इंटर कालेज निजमुला का भवन ब्यारा नामक स्थान पर बना है। यहीं पर इंटर कालेज की पढ़ाई लिखाई संचालित होती है। इसके अगल-बगल के क्षेत्र में कई परिवारों की बसागत है। पिछले कुछ सालों से यह पूरा इलाका भू-धंसाव और भू-स्खलन की जद में आ गया है। इसके चलते छात्र-छात्राओं के साथ ही स्थानीय लोगों का जीवन खतरे में पड़ गया है। हालांकि इस भू-धंसाव वाले इलाके के ट्रीटमेंट की गुहार लगाई जा रही है किंतु अभी तक भी सुरक्षात्मक कदम न उठाए जाने से छात्रों तथा स्थानीय लोगों पर संकट के बादल मंडरा रहे है। बरसात के दौरान आपदा प्रभावित क्षेत्र में और भी धंसाव हो रहा है। इसके चलते लोग दहशत में है।
सैंजी के सामाजिक कार्यकर्ता सुंदर सिंह फरस्वाण, पूर्व प्रधान कुंदन सिंह फरस्वाण, धर्मसिंह कठैत, वीरसिंह फरस्वाण, हुकम सिंह, हीरा सिंह, दर्शन फरस्वाण, कुंवर सिंह फरस्वाण, देवेंद्र सिंह पंवार आदि का कहना है कि थलीगांव तथा ब्यारा गांव के बरसाती नाले का दबाव राजकीय इंटर कालेज ब्यारा के मुख्य भवन के पीछे पड़ रहा है। इससे कक्षा कक्ष भी खतरे की जद में आ गए है। इसी तरह इसके अलग-बगल के मकानों पर भी बरसाती नाले का असर पड़ने से भू-धंसाव की प्रकिया जोर पकड़ रही है। इसलिए इस पूरे इलाके का भूगर्भीय सर्वेक्षण कर सुरक्षात्मक कदम उठाए जाने चाहिए। ताकि छात्र-छात्राओं की पढ़ाई लिखाई सुरक्षित तौर चलती रहे और स्थानीय लोगों की मकानों तथा खेतों को भी सुरक्षा मिल सके। उन्होंने कहा कि इस मामले में हीलाहवाली नहीं होनी चाहिए। शिक्षक नेता नरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि बरसात के दौरान शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है। उन्होंने भी कहा कि इंटर कालेज के मुख्य भवन के कक्षा कक्षों की बचाने के लिए ठोस सुरक्षात्मक कदम उठाए जाने की दरकार है।


