posted on : जनवरी 26, 2023 11:44 अपराह्न
पौड़ी : सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के जनपद कार्यालय पौड़ी में तैनात अतिरिक्त जिला सूचना अधिकारी सुनील सिंह तोमर द्वारा पलायन को रोकने के लिए कुछ युक्तियां बताई गई है जो कि आजकल सोशल मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है और कहीं ना कहीं उनके द्वारा कही गई यह बातें पलायन को रोकने में कारगर साबित होने की संभावित युक्तियां प्रतीत होती है। उनके द्वारा पलायन को रोकने के लिए सुझाई गयी युक्तियां-
- सभी स्थायी व अस्थायी कर्मचारियों को उनके राज्य, गृह जनपद, ब्लॉक, तहसील में तैनाती देना। सोचो कि अगर उधम सिंह नगर जिले के एक निवासी व्यक्ति की नौकरी में तैनाती चमोली जिले में लगती है तो क्या वह व्यक्ति वहां की भाषा, हाव भाव के अनुरूप काम को सहजता के साथ कर सकेगा। कभी नही वह व्यक्ति उस सहजता के साथ चमोली जिले में नौकरी नहीं कर पाएगा जिस सहजता के साथ वह उधम सिंह नगर में नौकरी कर सकता है क्योंकि भारत विविधताओं से भरा देश है यहां कदम कदम पर भाषा और संस्कृति में परिवर्तन होता है इसलिए जितना नजदीक को अपने गृह परिवेश में रहेगा उतना ही बेहतर ढंग से मानसिक मजबूती के साथ काम कर सकेगा और अपनी पुश्तैनी खेती-बाड़ी को अपने परिजनों के साथ हाथ बंटा सकेगा।
- खेती किसानी करने वाले व्यक्ति के बच्चों को सरकारी सेवाओं ने आरक्षण। फिर देखो कैसे जमीन से जुड़ते है लोग। खेती किसानी करने वाले व्यक्तियों के बच्चों को आरक्षण देना एक साइकोलॉजिकल प्रभाव को पैदा करेगा जिसमें हर व्यक्ति अपने बच्चे को खेती से जोड़कर रखेगा यह सोचते हुए की बच्चे को अगर नौकरी नहीं मिलती है तो कम से कम इसके बच्चों यानी कि नाती पोतों को तो नौकरी मिलने की संभावना बनी रहेगी।
- ऐसे उद्योग जिसमे ट्रांपोर्टेशन, रोड्स व भौगोलिक परिस्थितियां मायने नहीं रखती जैसे- हैदराबाद, बेंगलुरु, गुड़गावं में स्थापित सॉफ्टवेर कंपनियों को पहाड़ के हिल स्टेशनों में स्थापित करना। कहा जाता है कि उद्योगों की स्थापना के लिए चौड़ी चौड़ी सड़कों की आवश्यकता होती है ताकि उन के माध्यम से कच्चे माल व उत्पादित किए गए प्रोडक्ट की ढूलाई आसानी से की जा सके। यह बात कहीं सच भी लगती है लेकिन इसके स्थान पर यदि पहाड़ी राज्यों में हिल स्टेशनों पर सॉफ्टवेयर कंपनियां स्थापित होती है जिसमें ट्रांसपोर्टेशन या चौड़ी चौड़ी सड़कों की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है कोई स्थापित कर स्थानीय स्तर पर रोजगार और पलायन रोकने के लिए कारगर युक्ति साबित हो सकती है।
आज नहीं तो कल यह करना पड़ेगा। इसको नही अपनाया तो न बचेगी संस्कृति, न रुकेगा पलायन।


