देहरादून : श्रम आयुक्त उत्तराखण्ड पी.सी. दुमका की अध्यक्षता में मनरेगा कर्मकारों का पंजीकरण यू.के.बी.ओ.सी.डब्ल्यू. में कराए जाने के संबंध में यू.के.बी.ओ.सी.डब्ल्यू. कार्यालय में बैठक आहूत की गई जिसमें मनरेगा के राज्य समन्वयक सुधा तोमर द्वारा अवगत कराया गया कि मनरेगा में 16.3 लाख वर्कर हैं जिसके सापेक्ष 6.7 लाख वर्तमान में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं।
बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि ऐसे मनरेगा वर्कर जो वर्ष में 90 दिन मनरेगा में कार्य कर रहे हैं उनके पंजीकरण व श्रमिक कार्ड की व्यवस्था विकास खंड कार्यालय स्तर पर ही कराई जाए। इस हेतु आवश्यक इन्फ्रा बीडीओ लेवल पर उपलब्ध कराया जाएगा। बोर्ड से सॉफ्टवेयर में आवश्यक संशोधन व प्रशिक्षण संबंधित व्यवस्था, प्रचार-प्रसार की व्यवस्था की जाएगी। मनरेगा के आवेदन खंड विकास अधिकारी स्तर से अनुमोदित किए जाएंगे।
इसके अतिरिक्त इस बात पर भी सहमति बनी कि ऐसे मनरेगा श्रमिकों अथवा भवन तथा निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों के आवेदन भी ब्लॉक स्तर पर प्राप्त किए जाएंगे। इसका अनुमोदन संबंधित श्रम प्रवर्तन अधिकारी द्वारा किया जाएगा। बैठक में इस पर सहमति बनी बीडीओ कार्यालय के निकट यथासंभव 2 सीएससी का चिन्हांकन कर सूची श्रम विभाग को उपलब्ध कराई जाएगी जिसमें मनरेगा तथा अन्य श्रमिकों का पंजीकरण ई-श्रम पर कराया जाएगा ताकि राज्य के सभी श्रमिकों का पंजीकरण पोर्टल पर हो सके जिससे सभी श्रमिकों को राज्य अथवा केंद्र सरकार द्वारा दिए लाभ प्राप्त हो सकें।
उत्तराखंड में अब मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के श्रमिकों को पंजीकरण के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा। श्रम आयुक्त, उत्तराखण्ड, पी.सी. दुमका की अध्यक्षता में उत्तराखण्ड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (UKBOCW) कार्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि मनरेगा कर्मकारों का पंजीकरण अब विकास खंड कार्यालय स्तर पर ही किया जाएगा।
बैठक में मनरेगा के राज्य समन्वयक, सुधा तोमर ने बताया कि जहाँ एक ओर मनरेगा में कुल 16.3 लाख श्रमिक पंजीकृत हैं, वहीं वर्तमान में 6.7 लाख श्रमिक ही सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। इस स्थिति को देखते हुए, और श्रमिकों को सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से, यह पहल की गई है।
90 दिन काम करने वाले मनरेगा श्रमिकों को मिलेगी सुविधा:
बैठक में इस बात पर विशेष सहमति बनी कि ऐसे मनरेगा श्रमिक जो वर्ष में कम से कम 90 दिन मनरेगा में कार्य कर रहे हैं, उनके पंजीकरण और श्रमिक कार्ड की व्यवस्था सीधे विकास खंड कार्यालय (Block Development Officer – BDO) स्तर पर ही उपलब्ध कराई जाएगी।
बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण की होगी व्यवस्था:
इस नई व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए, आवश्यक बुनियादी ढांचा (infrastructure) बीडीओ स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा। बोर्ड द्वारा सॉफ्टवेयर में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे, और संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। साथ ही, इस नई सुविधा के बारे में श्रमिकों को जागरूक करने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा।
आवेदन प्रक्रिया और अनुमोदन:
मनरेगा श्रमिकों के आवेदन खंड विकास अधिकारी स्तर से अनुमोदित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, भवन और निर्माण कार्य में लगे अन्य श्रमिकों के आवेदन भी ब्लॉक स्तर पर प्राप्त किए जाएंगे। इन आवेदनों का अनुमोदन संबंधित श्रम प्रवर्तन अधिकारी (Labour Enforcement Officer) द्वारा किया जाएगा।
ई-श्रम पोर्टल पर होगा शत-प्रतिशत पंजीकरण:
एक और महत्वपूर्ण निर्णय यह हुआ कि बीडीओ कार्यालय के निकट, जहाँ संभव होगा, दो कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) चिन्हित किए जाएंगे। इन CSCs की सूची श्रम विभाग को उपलब्ध कराई जाएगी। इन केंद्रों के माध्यम से मनरेगा श्रमिकों और अन्य निर्माण श्रमिकों का पंजीकरण ई-श्रम पोर्टल पर कराया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के सभी श्रमिकों का पंजीकरण इस महत्वपूर्ण पोर्टल पर हो सके।
सभी को मिलेंगे सरकारी योजनाओं के लाभ:
श्रम आयुक्त, पी.सी. दुमका ने इस बात पर जोर दिया कि श्रमिकों के शत-प्रतिशत पंजीकरण से यह सुनिश्चित होगा कि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभ सभी पात्र श्रमिकों तक पहुँच सकें। यह कदम उत्तराखंड के श्रमिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
बैठक में अपर श्रम आयुक्त अनिल पेटवाल, उप श्रम आयुक्त विपिन कुमार, वरिष्ठ तकनीकी विशेषज्ञ दुर्गा चमोली, मनरेगा राज्य समन्वयक सुधा तोमर व अधिशासी अभियंता रंजन अय्यर उपस्थित रहे।


