- अमेरिका में भी इसी दिन को होगी प्रदर्शित
गोपेश्वर (चमोली)। रूपहले पर्दे पर गढ़वाली फिल्म ‘रैबार’ 19 सितंबर को रिलीज होने जा रही है। इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है। यह उत्तराखंड की पहली फिल्म होगी जिसका प्रदर्शन अमेरिका में भी इसी तिथि को होने जा रहा है।
पौड़ी के साहित्यकार विमल नेगी ने बताया कि ’रैबार’ फिल्म हिमालय में बसे चमोली के पीपलकोटी क्षेत्र के एक गांव के 34 वर्षीय डाकिया पुष्कर सिंह बिष्ट की मार्मिक कहानी बताती है। हमेशा से पर्वतों के परे एक जीवन की लालसा रखने वाले पुष्कर, सालों पहले अपने पिता द्वारा बाहर जाने से रोक दिया गया। इस कारण, पिता और बेटे में मन-मुटाव रहने लगा। उसका जीवन एक अप्रत्याशित मोड़ तब लेता है जब पुष्कर को डाकघर में एक पुराना अवितरित पत्र मिलता है यह पत्र एक मृत व्यक्ति ने अपने बेटे के नाम लिखा था। इसमें उसने क्षमा की याचना की थी। पुष्कर इस सात साल पुराने पत्र को देने के लिए ऋषिकेश, देहरादून और दिल्ली की एक व्यक्तिगत खोज पर निकलता है। यह यात्रा क्षमा, उद्देश्य और आत्म-खोज की एक गहन अन्वेषण बन जाती है।
रैबार फिल्म गढ़वाली संस्कृति और सिनेमा का एक जीवंत उत्सव है। राजेंद्र चौहान द्वारा रचित फिल्म का संगीत पारंपरिक गढ़वाली मधुरता और समकालीन रचना का एक सुंदर मेल है। इसके बोल डॉ. सतीश कलेश्वरी ने लिखे हैं। संगीत निर्देशन और पार्श्व संगीत विभू काशिव द्वारा तैयार किया गया है। प्लेबैक गायक रोहित चौहान और कैलाश कुमार ने गानों को अपनी आवाज़ दी है। इसमें उसके सार को और समृद्ध किया गया है।
फिल्म रैबार के कलाकारों में सुनील सिंह, सुमन गौड़, श्रीष डोभाल, राजेश नौगाईं, मोहित घिल्डियाल, सुशील पुरोहित, सृष्टि रावत, मोहित थपलियाल, एवं धर्मेन्द्र चौहान हैं। निर्देशक शिशिर उनियाल और किनोस्कोप फिल्म्स के निर्माता परवीन सैनी व बलराज जांगड़ा, संगीतकार विभु काशिव हैं। निर्देशक शिशिर उनियाल ने बताया कि ‘रैबार’ की शुरुआत वर्षों पहले एक साधारण बातचीत से हुई थी। आज अब यह एक फीचर फिल्म के रूप में सामने है। किनोस्कोप फिल्म्स के निर्माता भगत सिंह ने बताया कि ‘रैबार’ के साथ उनकी दूरदर्शिता उत्तराखंड की मिट्टी में पनपने वाली प्रभावशाली कथाओं और अविश्वसनीय प्रतिभा को प्रदर्शित करना है। क्षेत्रीय कहानी कहने को सशक्त बनाने और एक ऐसी गुणवत्ता के साथ पेश करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो वैश्विक दर्शकों के साथ प्रतिध्वनित हो। यह फिल्म इस तथ्य का प्रमाण है कि एक समृद्ध मानवीय कहानी, जो अपनी मिट्टी में जड़ी हुई और सार्वभौमिक आकर्षण रखती है। टीम का लक्ष्य उत्तराखंड की भाषाई और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है। बताया कि 19 सितंबर फिल्म दिल्ली एनसीआर में प्रदर्शित होगी और इसी दिन अमेरिका में भी फिल्म को रिलीज किया जाएगा।


