posted on : सितम्बर 19, 2024 11:03 अपराह्न
देहरादून : डीजीपी अभिनव कुमार की अध्यक्षता में नये अपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु न्याय प्रक्रिया की आवश्यकताओं के अन्तर्गत मशीन, उपकरण एवं संयत्रों की आवश्यकता एवं आंकलन के सम्बन्ध में गोष्टी आयोजित की गयी, जिसमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों सहित अभियोजन, न्याय विभाग एवं कारागार विभाग के अधिकारियों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया । इस दौरान अपर पुलिस महानिदेशक प्रशासन अमित सिन्हा, निदेशक सतर्कता वी. मुरूगेशन, अपर पुलिस महानिदेशक अभिसूचना एपी अंशुमान, अपर सचिव न्याय रजनी शुक्ला, अपर निदेशक अभियोजन केसर सिंह चौहान सहित समस्त पुलिस महानिरीक्षक, समस्त पुलिस उप महानिरीक्षक सहित अन्य अधिकारी गण मौजूद रहे ।
पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड अभिनव कुमार द्वारा विभिन्न विषयों पर विचार- विमर्श कर निम्न दिशा –निर्देश निर्गत किये गये
- नये आपराधिक कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु समस्त थानों को वीडियो क्रांफ्रेसिंग सिस्टम एवं निरीक्षक स्तर से मुख्य आरक्षी स्तर तक सभी अधिकारियों को उपकरणों यथा- टैबलेट, बाडीवार्न कैमरा, मोबाइल क्राइम किट, फिंगर प्रिंट स्कैनर इत्यादि प्रदान किये जाने हेतु प्रस्ताव तैयार कर लिया जाये । यह भी सुनिश्चित किया जाये, कि सभी संसाधनों का अनुकूल उपयोग हो ।
- थाना स्तर पर दिये जाने वाले एफएसएल किट से सम्बन्धित उपकरणों का भी प्रस्ताव तैयार कर लिया जाये । इस हेतु सीमावर्ती राज्यों से एफएसएल किट से सम्बन्धित जानकारी कर ली जाये ।
- घटनास्थल के निरीक्षण हेतु समस्त जनपदों एक-एक मोबाइल फांरेसिक वैन एवं थाना स्तर पर मोबाइल क्राइम किट विद बाइक प्रदान किये जाने का निर्णय लिया गया ।
- न्यायालयों में इलेक्ट्रानिक माध्यम से साक्ष्य दिये जाने हेतु थाना स्तर पर वीडियो क्रांफ्रेसिंग सिस्टम युक्त रूम तैयार किये जायेगें । जिससे पुलिसकर्मियों को काफी सुविधा मिलेगी व समय की बचत होगी ।
- आमजन की वीडियो क्रांफ्रेसिंग के माध्यम से साक्ष्यों (गवाही) हेतु उच्च न्यायालय के प्रदत्त दिशा-निर्देशों का अध्ययन कर अधिसूचित स्थानों का चिह्नीकरण कर लिया जाये ।
- विभिन्न अभियोगों से सम्बन्धित साक्ष्यों के रखरखाव हेतु समस्त जनपदों में Evidence Management Centre बनाया जायेगा, जो कि अभियोजन विभाग के अन्तर्गत कार्य करेगा ।
- अभियोगों से सम्बन्धित डेटा स्टोरेज हेतु समस्त जनपदों में एक-एक डेटा स्टोरेज सेन्टर भी स्थापित जायेगा ।
- न्यायालय द्वारा जारी ई-समन के परिपेक्ष्य में ICJS एवं CCTNS पोर्टल में डेटा इंटिग्रेशन की कार्यवाही सुनिश्चित कर ली जाये।
- सभी विवेचकों के पास डिजिटल सिग्नेटर(डीएससी) की सुविधा उपलब्ध हो। यह सुनिश्चित किया जाये कि सभी विवेचक केस डायरी व चार्जशीट इलेक्ट्रानिक रूप से ही न्यायालय को प्रेषित करें।
- आम जन को नये आपराधिक कानूनों के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करने हेतु ग्राम पंचायत स्तर तक जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाये ।