देहरादून: उत्तराखंड में मौसम का मिज़ाज कब पलट जाए, कहना मुश्किल है। यहां मौसम विभाग का पूर्वानुमान भी कई बार उसको पकड़ नहीं पाता। हालांकि, मौसम विभाग वायुमंडलीय परिवर्तनों का अध्ययन करके यह संकेत देता रहता है कि बारिश होगी या नहीं, और अगर होगी तो कितनी तीव्र हो सकती है। इसी पूर्वानुमान के आधार पर मौसम विभाग येलो, ऑरेंज और रेड अलर्ट जारी करता है, जो खतरों की तीव्रता को दर्शाते हैं। अब सवाल उठता है कि इन अलर्ट का मतलब क्या है? और कौन-सा अलर्ट किस तरह की सावधानी की मांग करता है? चलिए, जानते हैं कि मौसम विभाग किस अलर्ट के साथ क्या चेतावनी देता है और आम जनता को किस तरह की सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है।
येलो अलर्ट: शुरुआत का संकेत, सतर्क रहें, सजग रहें
संभावित प्रभाव
- हल्की से मध्यम बारिश, भूस्खलन और चट्टान गिरने की घटनाएं।
- सड़कें अवरुद्ध हो सकती हैं, जलभराव की स्थिति।
- तीव्र वर्षा के चलते अचानक बाढ़ का खतरा, खासकर पहाड़ी और ढलान वाले क्षेत्रों में।
- कम दृश्यता और फिसलनभरी सड़कों से यात्रा में कठिनाई।
- कृषि फसलों को मामूली नुकसान, हवाई सेवाओं में रुकावट।
सावधानियां
- भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में लोग सतर्क रहें।
- चारधाम यात्रियों और पर्यटकों को खड़ी ढलानों से बचने की सलाह।
- नदियों, नालों और बाढ़ क्षेत्रों से दूरी बनाए रखें।
- तैराकी या नावविहार न करें।
- फसल को सूखे व सुरक्षित स्थानों पर रखने की सलाह।
ऑरेंज अलर्ट: खतरा है, लेकिन संभलने का मौका भी है
संभावित प्रभाव
- भारी से बहुत भारी बारिश, गर्जना, बिजली गिरने और चट्टान खिसकने की आशंका।
- भूस्खलन, मलबा गिरना, सड़क-पुल बाधित।
- फ्लैश फ्लड, नदियों का जलस्तर बढ़ना, जलभराव की स्थिति।
- बिजली, पानी, परिवहन व संचार सेवाएं प्रभावित।
- संवेदनशील मकानों/ढांचों को नुकसान, हवाई व रेल सेवाएं प्रभावित।
सावधानियां
- चारधाम यात्री, पर्यटक और स्थानीय लोग अत्यधिक सावधानी बरतें।
- आवश्यक न हो तो यात्रा टालें।
- नदी-नालों, ढलानों, भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से दूरी बनाए रखें।
- किसानों को फसलों की सुरक्षा और अतिरिक्त जलनिकासी की सलाह।
- बांध, बैराज व सैन्य चौकियों को सतर्क रहने का निर्देश।
रेड अलर्ट: सबसे बड़ा खतर, जान और जहान दोनों प्रभावित
संभावित प्रभाव
- भारी से बहुत भारी वर्षा, गरज-चमक और बिजली गिरने की संभावना।
- तीव्र हवाएँ (30-40 किमी/घंटा), भूस्खलन, चट्टान गिरना और फ्लैश फ्लड की घटनाएं।
- सड़कें, पुल, राजमार्ग अवरुद्ध या बह सकते हैं।
- बिजली-पानी जैसी सेवाएं प्रभावित, रेल, हवाई और हेलीकॉप्टर सेवाएं बाधित हो सकती हैं।
- कृषि फसलें (धान, मक्का, बाजरा आदि) व बागवानी को नुकसान।
- कच्चे मकान, निर्माणाधीन ढाँचे कमजोर हो सकते हैं।
- बांधों/बैराजों से जलस्राव में वृद्धि, नदियों का जलस्तर ऊँचा हो सकता है।
सावधानियां
- भारी बारिश में घर से बाहर न निकलें।
- बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से बचें, वाहन चालकों को विशेष सतर्कता।
- किसानों को खेतों से अतिरिक्त पानी की निकासी के उपाय करने की सलाह।
- चारधाम यात्रा, पर्वतारोहण और नदी किनारे गतिविधियों में सावधानी अनिवार्य।
- स्थानीय प्रशासन और मौसम विभाग के निर्देशों पर नजर रखें।


