- गौवंश संरक्षण समिति की समीक्षा बैठक का आयोजन, गौसेवा को बढ़ावा देने पर जोर
- गौवंशों के संरक्षण के लिये समिति बनाने के दिये निर्देश
पौड़ी : विकास भवन सभागार में शुक्रवार को गौवंश संरक्षण समिति की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी। बैठक की अध्यक्षता उत्तराखंड गौसेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. पंडित राजेंद्र अणथ्वाल द्वारा की गयी। बैठक में गौवंश संरक्षण से जुड़े विभिन्न पहलुओं, नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन तथा गौशालाओं की व्यवस्थाओं पर विस्तार से चर्चा की गयी।
गौसेवा आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि गौवंश हमारी संस्कृति, कृषि एवं पर्यावरण का अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा गौवंश संरक्षण के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही हैं, जिनका सही ढंग से क्रियान्वयन आवश्यक है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी गौशालाओं में गौवंश को भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं समय पर उपलब्ध करायी जाएं। उन्होंने सभी से अपील की कि गौसेवा को सामूहिक जिम्मेदारी समझकर कार्य करें और गौवंश संरक्षण के लिए हर स्तर पर प्रभावी कदम उठाए जाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि आवारा पशुओं के संरक्षण एवं पुनर्वास के लिए ठोस रणनीति बनायी जाय। साथ ही, प्रत्येक जनपद में पशु चिकित्सकों की तैनाती सुनिश्चित की जाय और बीमार एवं घायल गौवंश को तत्काल उपचार उपलब्ध कराया जाय। बैठक में अध्यक्ष ने पशु चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने, ईयर टैगिंग की प्रक्रिया को तेज करने तथा गौवंश के समुचित भरण-पोषण को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। साथ ही रात्रि के समय गौवंश को सड़क दुर्घटनाओं से बचाने के लिए उनके गले में रेडियम बेल्ट लगाने की व्यवस्था करने पर भी विचार किया गया।
उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत, खंड विकास अधिकारी, राजस्व उपनिरीक्षक, पशु चिकित्साधिकारी को सदस्य बनाकर गौ संरक्षण के लिये एक समिति बनायी जाय, जिससे लोगों को पशु छोड़ने का डर बना रहेगा। उन्होंने कहा कि गौवंशों हेतु फोटो टैगिंग और जन्म–मरण की पंजिका भी बनायी जाय। गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष ने यह भी कहा कि शिक्षा विभाग के माध्यम से गौ संरक्षण हेतु प्रतियोगिताएं आयोजित कर प्रचार–प्रसार करायी जाएं।
बैठक में गौ सेवकों ने सुझाव दिये कि गौशालाओं में सोलर लाइट और बीमार पशुओं को उठाने के लिये मशीनें दी जाएं। अध्यक्ष ने कहा कि वन क्षेत्रों में गौवंशों के मृत्यु उपरांत निस्तारीकरण के लिये शासन स्तर पर निर्देशित किया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि रोजगार सृजन के लिये 6 माह से अधिक आयु के न्यूनतम पांच निराश्रित नंदियों को पालकर ब्लॉकों में पंजीकरण कर 12 हजार माह दिया जाता है।
बैठक में गौवंश संरक्षण से संबंधित कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की गयी। इसमें गौशालाओं में सुविधाओं के सुधार, गौसदनों एवं डेरियों के सत्यापन एवं निरीक्षण और आवारा पशुओं के पुनर्वास की ठोस योजना बनाने पर जोर दिया गया। नगर निकायों में संचालित, निर्माणाधीन एवं प्रस्तावित गौसदनों एवं गौशालाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए यह सुनिश्चित करने पर बल दिया गया कि इन संस्थानों में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं उपलब्ध हों। इसके अलावा, घायल गौवंश को शीघ्रता से गौसदनों तक पहुंचाने के लिए लिफ्टिंग वैन की सुविधा, दवाओं एवं उपचार की उपलब्धता सुनिश्चित करने और मृत्यु के बाद दाह संस्कार की व्यवस्था पर भी चर्चा हुई। बैठक में गौवंश संरक्षण को लेकर जन-जागरुकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर सभी सदस्यों ने सहमति जतायी गयी। साथ ही पशु क्रूरता निवारण समिति की बैठक कराए जाने की भी मांग की गयी। गौसदन संचालकों द्वारा अपनी समस्याएं भी बतायीं गयीं, जिनका समाधान किया गया। उन्होंने नगर निकायों को निर्देश दिये कि गौशालाओं को बेहतर रखें। उन्होंने यह भी कहा कि गौशाला में रखें सभी पशुओं में टैगिंग हो इसका विशेष ध्यान रखें। उन्होंने मुख्य पशुचिकित्साधिकारी को निर्देश दिये कि गौ संरक्षण की इस बैठक का छः माह के भीतर होना आवश्यक है।
मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत ने कहा कि गौ संरक्षण के लिये जो धनराशि गौ सेवकों को दी जाती है, तहसील स्तर से उपजिलाधिकारी उसका सत्यापन समय पर करें और गौ सेवकों को उसका भुगतान तत्काल करें। साथ ही उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिये कि बड़ी गौशालाओं में गोबर का उपयोग अन्य जगह हो, उसके लिये मशीन लगाने की कार्रवाई करें। उन्होंने ब्लॉक स्तर पर गौ संरक्षण के लिए जिला पंचायत को निर्देश दिये कि गौशाला बनाने के लिये भूमि चिन्हित करें, जिससे वहां निराश्रित गौवंशों को वहां रखा जा सके। साथ ही उन्होंने खंड विकास अधिकारियों को कहा कि नंदियों कि देखरेख के लिए ब्लॉक स्तर पर 4–5 लोग तैयार करें और उन्हें देखभाल के लिये पर माह 12 हजार भी दिया जायेगा।
अपर जिलाधिकारी अनिल गर्ब्याल द्वारा गौसदन के संचालकों की समस्याओं का समाधान किया गया। उन्होंने कहा कि पशु चित्साधिकारियों द्वारा पटवारी, तहसीलदारों के साथ समन्वय से अन्य मामलों का भी निस्तारण किया जाएगा। बैठक में नगर आयुक्त कोटद्वार पीएल शाह, सहायक नगर आयुक्त श्रीनगर रवि बंगारी, जिला विकास अधिकारी मनविंदर कौर, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. विशाल शर्मा, कार्य अधिकारी जिला पंचायत भावना रावत, कोतवाली पौड़ी प्रभारी कमलेश शर्मा, बीडीओ पौड़ी सौरभ हांडा, नगर निकायों के अधिकारी, गौसेवा आयोग के पदाधिकारी, गौसदन संचालक एवं गौसेवा से जुड़े सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे।


