उत्तरकाशी : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को जिलाधिकारियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मानसून पूर्व तैयारी संबंधी बैठक लेते हुए जरूरी दिशा निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने जनपद उत्तरकाशी में मानसून व आपदा से निपटने की तैयारियों की समीक्षा करते हुए मानसून सीजन प्रारम्भ होने से पूर्व सभी तैयारियां पूर्ण करने के निर्देश दिए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने यमुनोत्री धाम में दीर्घकालिक कार्यों के बारे में भी जानकारी प्राप्त की।
जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने आपदा प्रबंधन की तैयारियों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि जनपद में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा से निपटने हेतु जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क और तैयार है। आपदा की स्थिति से प्रभावी रूप से निपटने के लिए सभी आवश्यक संसाधनों और व्यवस्थाओं को सुनिश्चित कर लिया गया है। वर्तमान में चारधाम यात्रा सुगम सुरक्षित औऱ सुव्यवस्थित रूप से संचालित हो रही है। यात्रा को देखते हुए यमुनोत्री धाम में तात्कालिक कार्यों को पूर्ण किया जा चुका है। जबकि दीर्घकालिक कार्यों को शुरू कराने के लिए बड़ी मशीनों को एयर लिफ्ट कराने की कार्यवाही गतिमान है।
जिलाधिकारी ने कहा कि आपदा के दृष्टिगत जनपद में यमुनोत्री एवं गंगोत्री नेशनल हाइवे के साथ ही अन्य सड़क मार्गों के भूस्खलन संभावित स्थलों की पहचान की जा चुकी है। तथा इन क्षेत्रों में त्वरित राहत एवं मार्ग बहाली के लिए 100 मशीनें यथा जेसीबी, पोकलैंड, डोजर आदि को तैनात किया गया है। किसी भी आपातकालीन परिस्थिति में सड़क या पुल के क्षतिग्रस्त होने पर वैली ब्रिज भी तैयार रखे गए है।संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा की स्थिति में लोगों को सुरक्षित स्थान में ठहराने के लिए विद्यालयों को अस्थाई शेल्टर तथा भवनों को आश्रय स्थलों के रूप में चिह्नित किया गया है। हवाई आपातकाल या त्वरित राहत कार्यों के लिए जनपद में स्थायी हेलीपैड क्रियाशील हैं, साथ ही विद्यालयों के मैदानों को वैकल्पिक हेलीपैड के रूप में चयनित किया गया है। आपदा मोचन बल के रूप में एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीमें तैनात की जा चुकी हैं, जो तत्काल राहत कार्यों में सहयोग करेगी। इसके अतिरिक्त दूरस्थ एवं दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में माह सितम्बर तक की आवश्यक खाद्य सामग्री पहले ही पहुंचा दी गई है ताकि किसी प्रकार की आपूर्ति बाधित न हो। संचार व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से संचारविहीन क्षेत्रों में सेटेलाइट फोन भी उपलब्ध कराए गए हैं, जिससे आपदा के दौरान निर्बाध संपर्क बना रह सके।
बैठक में ईई लोनिवि सनी दयाल, एसीएमओ डॉ.वीरेंद्र पांगती, ईई यूपीसीएल मनोज गुसाईं, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शार्दूल गुसाईं उपस्थित रहे, जबकि अन्य सम्बंधित अधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़े रहे।
आपदा प्रबंधन की पूरी तैयारियाँ
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भूस्खलन संभावित स्थलों की सूची तैयार कर ली गई है।
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100 मशीनें—जेसीबी, पोकलैंड, डोजर आदि—यमुनोत्री‑गंगोत्री राजमार्ग सहित अन्य सड़कों पर तैनात हैं।
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किसी आपात स्थिति में वैली ब्रिज बस कुछ घंटों में स्थापित करने की व्यवस्था तैयार।
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संवेदनशील गाँवों में स्कूल भवनों को अस्थायी शेल्टर तथा आश्रय स्थल घोषित किया गया है।
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एसडीआरएफ व एनडीआरएफ की टीमें मौके‑पर तैनात; हेलीकॉप्टर रॉज़ के लिए स्थायी और वैकल्पिक हेलीपैड चिन्हित।
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दुर्गम क्षेत्रों में सितम्बर तक की खाद्य सामग्री पहले ही भेज दी गई है।
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संचारविहीन ज़ोन में सेटेलाइट फोन उपलब्ध, ताकि आपदा में संपर्क बाधित न हो।


