यात्रा बाजारों में मिलता था लोगों को रोजगार
कर्णप्रयाग / चमोली । हर साल हजारों लोगों को रोजगार देने वाली चार धाम यात्रा की सड़कों पर इस बार सन्नाटा पसरा है। इन सड़कों पर न तो यात्रा बसें ही दौड़ रही हैं और ना ही यात्रा के दौरान संचालित होने वाले अस्थायी बाजार खुल पाए हैं।
शुक्रवार को भगवान बदरीविशाल के कपाट खुले। लेकिन कोरोना संकट के चलते यहां यात्रा शुरू नहीं हो पाई। हालांकि पिछले वर्षों तक चार धाम यात्रा शुरू होने से काफी दिन पहले ही यात्रा मार्ग पर मुख्य बाजार और अस्थायी बाजार सज जाते थे। लेकिन इस बार सब ठप है। गौचर से नंदप्रयाग तक चटवापीपल के पास, कर्णप्रयाग में लाटूगैर, उमट्टा, उमराकोट-बेडाणू, विराजकुंज, सोनला सहित कई जगह यात्राकाल के बाजार लगते थे। लेकिन इस बार सब ठप है।
लंगासू के पूर्व व्यापार मंडल अध्यक्ष कैलाश खंडूड़ी का कहना है कि यात्राकाल में लंगासू, बेडाणू में सिक्ख तीर्थयात्री और अन्य श्रद्धालुओं के लिए भंडारे लगाने बाहर से व्यापारी आते थे। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता था। बिराजकुंज के देवी पंत का कहना है कि यहां पिछले तीन दशक से बाजार सजते आए हैं। लेकिन इस बार पूरे मार्ग पर सन्नाटे के अलावा कुछ नहीं है।
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