देवाल / चमोली । कोरोना संक्रमण के कारण हुए लाॅक डाउन से मजदूर वर्ग के साथ ही युवाओं का रोजगार भी छिना है। रोजगार की तलाश में अपने गांव से बाहर गये युवा अब घरों को लौट रहे है। वहीं घरों में रह रहे युवाओं के सामने भी रोजगार का संकट पैदा हो गया है। ऐसे में अब युवा स्वरोजगार की ओर मुड़ने लगे है। अपने घर पर रह कर ही युवा रोजगार के नये-नये अवसरों को तलाश रहे है। ऐसे गैरसैण के तीन युवाओं ने अपने घर पर कुक्कुड पालन के साथ ही बैमोसमी सब्जी उत्पादन का काम शुरू किया है। जिससे उनकी अच्छी आमदनी भी हो रही है। और अन्य युवाओं को दिशा दिखाने का काम भी कर रहे है।
गैरसैण के खनसर घाटी की ग्राम पंचायत सारिंग गांव के जौलचैंरा तल्ला के तीन युवाओं ने लाॅक डाउन के दौरान स्वरोजगार के लिए बैमोसमी सब्जी के साथ ही कुक्कुड पालन का कार्य शुरू किया है। इस व्यवसाय से उन्होंने लाॅक डाउन के दौरान 25 से 30 हजार रूपये प्रतिमाह की आदमानी प्राप्त की है। गैरसैण आईटीआई से पास आउट होने के बाद नरेंद्र गिरी ने सहारनपूर और दिल्ली में काम किया। जिसके बाद लाॅक डाउन से कुछ दिन पहले घर लौटा था लेकिन वापस न जा सका। जिससे उसने एक और मित्र चंद्र गिरी के साथ मिलकर कुक्कुड पालन का कार्य शुरू किया है। वर्तमान में उन्होंने चार सौ मुर्गियों से अपना यह स्वरोजगार का कार्य शुरू किया है।
बताते है कि प्रतिदिन तीन सौ से अधिक अंडे स्थानीय बाजार में उपलब्ध करवाते है। जिससे उन्हें अच्छी आमदानी मिल जाती है। नरेंद्र ने बताया कि वे गांव के अन्य युवाओे को जोड़ते हुए नावार्ड के माध्यम से इस काम को और अधिक बढ़ाना चाहते है। अब लाॅक डाउन में कुछ छूट मिली है। नावार्ड के अधिकारियों तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास करेंगे ताकि और युवाओं को जोड़कर आगे कार्य किया जाए। वहीं गांव के ही ही पुष्कर सिंह पाॅली हाउस में विभिन्न प्रकार की सब्जियों को उत्पादन कर बाजार तक पहुंचा रहे है।
ग्राम प्रधान उषा गुंसाई तीनों युवाओं के प्रयास की सराहना करते हुए कहती है कि यदि गांव के अन्य युवा भी इसी प्रकार कार्य करें तो गांवों को खुशहाली तो आयेगी साथ ही पलायन भी रूकेगा। कहा कि वे भी इनके कार्य को आगे बढाने में सहयोग करेंगे और प्रशासन से भी मांग करेंगे की ऐसे युवाओं को प्रोत्साहित किया जाए।



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