चमोली । चमोली में सड़क निर्माण कर रही संस्थाओं की ओर से बड़े पैमाने पर लॉकडाउन का लाभ उठाते हुए एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून) के नियमों की धज्जियां उडाई जा रही हैं। बदरीनाथ हाईवे पर जहां पीपलकोटी के समीप एनएचआईडीसी की ओर से अनियंत्रित तरीके से मलबे का निस्तारण किया जा रहा है। वहीं नारायणबगड़-परखाल सड़क पर भी मलबे को नदी में उडेला जा रहा है। जिससे नदियों की सेहत सुधारने के लिये चलाये जा रहे केंद्र सरकार के नमामी गंगे कार्यक्रम को यहां खुलेआम पलीता लगाया जा रहा है।
जिले में जिला प्रशासन की ओर से सड़क निर्माण के आधे-अधूरे कार्यों को पूर्ण करने के लिये निर्माण की अनुमति प्रदान की गई है। लेकिन लॉकडाउन के चलते सड़कों पर आवाजाही न होने से यहां सड़क निर्माण कर रही निर्माणदायी संस्थाओं की ओर से मनमाने तरीके से मलबे का निस्तारण किया जा रहा है। बदरीनाथ हाईवे परएनएचआईडीसीएल की ओर से पीपलकोटी के समीप चैडीकरण से निकल रहे मलबे को अलकनंदा नदी में उडेला जा रहा है। वहीं दूसरी ओर पीएमजीएवाई की ओर से निर्माणाधीन नारायणबगड़-परखाल सड़क का मलाबा भी डंपिंग जोन के बजाय पिंडर नदी में उडेला जा रहा है। जिससे यहां पहाड़ी पर मौजूद लाखों की वन सम्पदा क्षतिग्रस्त हो गई है। स्थानीय निवासी भुवन सिंह और अशोक कुमार ने जिला प्रशासन से मामले का संज्ञान लेते हुए निर्माणदायी संस्थाओं पर कार्रवाई कर क्षतिपूर्ति करवाने की मांग उठाई है।
“जिले में सड़क निर्माण की अनुमति दी गई हैं, यदि कहीं अनियंत्रित मलवा निस्तारण किया जा रहा है। तो इसकी जांच करवाई जाएगी तथा एनजीटी व वांछित नियमानुसार निर्माणदायी संस्थाओं पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
स्वाति एस भदौरिया, जिलाधिकारी, चमोली।



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