कोरोना में आत्मनिर्भर भारत को सफल बना रहे है पहाड़ के भगत
देवाल / चमोली । कोरोना काल लोगों के लिए दुःस्वप्न साबित हुआ है। उत्तराखंड में कोरोना काल में सबसे ज्यादा बुरा असर हस्तशिल्प, हथकरघा और कुटीर उद्योग पर पड़ा है। कोरोना की वजह से यहां के हुनरमंदो को काम और बाजार नहीं मिल पा रहा है। लेकिन इन सबसे इतर उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाॅक के वाण गांव के भगत सिंह का आत्मनिर्भर माॅडल लोगों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं हैं।
बता दें कि वाण गांव के पेरी निवासी भगत सिंह कोरोना से पहले ट्रैकिंग का कार्य करते थे लेकिन ट्रैकिंग बंद होने से वे विगत एक साल से बेरोजगार हो चुके थे। भगत सिंह ट्रैकिंग कराने से पहले चंडीगढ़, देहरादून में ऊन उद्योग में कार्य करते थे। ऐसे में उन्होंने अपने पुराने अनुभवों को रोजगार के अवसर में तब्दील करने की ठानी। उन्होंने बैंक से एक लाख का ऋण लेकर वाण गांव में खुद का लघु ऊनी बुनकर केंद्र खोल दिया जहां पर वे ऊन के बने स्वेटर, हाईनेक, हाफ स्वेटर, महिलाओं के लिए स्वेटर, मफलर, टोपी, इनर, लोअर सहित अन्य ऊनी उत्पाद मशीनों से तैयार करते हैं। इन उत्पादों से इन्हें प्रतिमाह 20 से 25 हजार की आमदनी हो जाती है। जिसमें से बैंक की किस्त जमा की जाती है और परिवार की आजीविका भी चलती है। इसके अलावा घर के अन्य कार्यों में भी हाथ बंटाते हैं।
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भगत अपने काम से संतुष्ट नजर आते हैं। वे कहते हैं कि इसमें घर में ही रोजगार मिल रहा है। मेरे पास बहुत डिमांड है। कोरोना की वजह से कच्चा माल समय पर उपलब्ध नहीं होने से थोडी परेशानी जरूर हो रही है। उम्मीद है कि अब प्रदेश में गाडियों के आवागमन में छूट मिलने से धीरे-धीरे सब कुछ पटरी पर लौट आयेगा। भगत कहते हैं कि पहाड़ में रोजगार के लिए असीमित संभावनाएं हैं, जरूरत है खुद पर विश्वास और भरोसा करने की है।
आंकड़ों पर नजर डालें तो उत्तराखंड में उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, पिथौरागढ़ जनपद में 60 हजार से अधिक ग्रामीण हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़े हैं। प्रदेश में हस्तशिल्प और हथकरघा का सालाना 50 करोड़ का कारोबार होता है। जनपद चमोली में हथकरघा बुनकरों की संख्या 25 सौ से अधिक हैं जबकि हस्तशिल्प बुनकरों की संख्या 4500 से अधिक हैं। लेकिन कोरोना की वजह से चारधाम यात्रा बंद होने और कच्चा माल न मिलने, बाजार बंद होने के कारण मांग न होने से हस्तशिल्पी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। पलायन आयोग ने विगत दिनों चमोली जनपद की अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि चमोली में हथकरघा बुनकरों को क्षमता संवर्धन के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए और ग्रामीणों को लघु उद्योग के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। पलायन आयोग ने कहा की स्थानीय स्तर पर स्थानीय संसाधनों के अनुसार लघु उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उत्तराखंड सरकार द्वारा मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत कारीगर दस हजार से लेकर 25 लाख तक का ऋण ले सकते हैं और अपने कारोबार को आगे बढ़ा सकते हैं।
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वास्तव में देखा जाए तो हिमालय के अंतिम गांव वाण के भगत सिंह का आत्मनिर्भर माॅडल लोगों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। भले ही लोगों को इनका प्रयास छोटा नजर आ रहा हो लेकिन ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से भविष्य की बडी उम्मीदों का सपना संजोया जा सकता है। बेरोजगार युवाओं को भगत सिंह के वोकल फाॅर लोकल से सीख लेने की आवश्यकता है ताकि पहाड़ में रहकर ही रोजगार के अवसर सृजित किये जा सकें।
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