posted on : नवम्बर 11, 2022 8:10 अपराह्न
लैंसडाउन : भक्त दर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जयहरीखाल के बीएड संकाय द्वारा हर्षोल्लास के साथ मनाया राष्ट्रीय शिक्षा दिवस l कार्यक्रम का शुभारंभ प्रभारी प्राचार्य प्रो एस.पी मधवाल के द्वारा मां सरस्वती प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर किया गया व उपस्थित समस्त छात्र-छात्राओं और प्राध्यापकों को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की शुभकामनाएं दी गई और संबोधित करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा गया की स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के शिक्षा के क्षेत्र में योगदान की याद में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस हर साल आज के दिन मनाया जाता है। देश में उच्च शिक्षा के मुख्य नियामकों व संस्थानों, जैसे – अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई), विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, आदि के संस्थापकों में से एक मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती यानि 11 नवंबर को शिक्षा दिवस के तौर पर मनाए जाने की शुरूआत वर्ष 2008 से की गई थीl
B.Ed विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर आरके सिंह द्वारा छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा गया कि शिक्षा मंत्रालय ने मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के नेतृत्व में ही 1951 में देश का पहला आईआईटी संस्थान स्थापित किया। इसके बाद 1953 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) बनाया गया। उनका मानना था कि ये संस्थान भविष्य में भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में अहम साबित होंगे। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और सेकेंडरी एजुकेशन कमिशन भी उन्हीं के कार्यकाल में स्थापित किया गया था। देश में प्रसिद्ध जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापन में भी उनका अहम योगदान रहाl
अन्य वक्ताओं में वनस्पति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉक्टर आरके द्विवेदी, वाणिज्य संकाय के सहायक प्राध्यापक वीके सैनी एवं वरुण कुमार , बीएड संकाय से सहायक प्राध्यापक अंजलि के द्वारा भी राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के महत्व की विस्तृत जानकारी छात्र-छात्राओं को दी गई और बताया गया की National Education Day 2022 Theme : क्या है इस बार की थीम हर वर्ष शिक्षा मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा दिवस की थीम तय की जाती है। इस बार की थीम है – Changing Course, Transforming Education यानी ‘कोर्स बदलना, शिक्षा को बदलना’। यह थीम इस बात की ओर इशारा करती है कि वर्तमान व भविष्य की जरूरतों के हिसाब से शिक्षा व्यवस्था को बदलने की कितनी ज्यादा जरूरत है।