गोपेश्वर (चमोली)। बदरीनाथ हाइवे पर लगातार स्लाइड जोन उभरने के कारण लोग जान हथेली पर रख कर आवाजाही कर रहे है। कमेडा तथा भनीरपाणी समेत अन्य स्थानों पर स्लाइड जोन जी का जंजाल बन गए है।
दरअसल चमोली जिले में कमेडा में स्लाइड जोन थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसके चलते स्थानीय लोगों के साथ ही तीर्थयात्रियों को भी जान हथेली पर रखकर आवाजाही करनी पड़ रही है। कमेडा में तो सड़क के हिलसाइड और निचली ओर हाइवे के लगातार क्षतिग्रस्त होने से आवाजाही लगातार बाधित हो रही है। इससे लोग घंटो बीच सड़क में ही फंस जा रहे है। कमेडा में आईटीबीपी की ओर भू-धंसाव के चलते आवाजाही और भी मुश्किल हो गई है। इसी तरह चटुवापीपल में भी भू-स्खलन का सिलसिला जारी रहने से वाहन मुश्किल से निकल पा रहे है। उमट्टा में भी इसी तरह के हाल बने है। नंदप्रयाग स्लाइड जोन की कहानी किसी से छिपी नहीं है। यहां भी हर रोज मलवा आने से आवाजाही प्रभावित हो रही है। मैठाणा में तो भू-धंसाव के चलते हाइवे खतरनाक बनता जा रहा है। मौसम का मिजाज यही रहा तो फिर हाइवे के बंद होने की आशंका भी प्रबल हो उठी है।
पीपलकोटी से बदरीनाथ की ओर भनीरपाणी में स्लाइड जोन थमने का नाम नहीं ले रहा है। किसी तरह कोई वाहन फंस गया तो निकालना मुश्किल हो रहा है। भनीरपाणी में तो हालात संभलने का नाम नहीं ले रहा है। पागलनाला का ट्रीटमेंट होने के बावजूद स्थिति संभल नहीं रहा है। पैनी में भी हालात बदतर होते जा रहे है। इससे आगे भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। लामबगड में भी स्थिति खतरनाक बनी है। कंचनगंगा तो रौद्र रूप दिखा रही है। यहां पर भी हाइवे का अवरूद्ध होना आम बात हो गई है।
ऋषिकेश से कीर्तिनगर तक की आवाजाही तो और भी खराब बन गई है। लगातार हो रहे भू-स्खलन के चलते जगह-जगह बोल्डर और मलवा आने से लोग जान हथेली पर रखकर आवाजाही को विवश है। मौसम का मिजाज सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। इस कारण हालात चिंताजनक बनते जा रहे। ग्रामीण संपर्क मार्गों के हालात तो और भी खराब हो चले है। प्रकृति ने इस बार मिजाज पूरी तरह बदला है। सड़कों के अवरूद्ध होने को लेकर लोग तमाम तरह के तर्क दे रहे है। प्रकृति के साथ छेड़छाड को भू-स्खलन और भू-धंसाव का कारण मान रहे है। कारण जो भी हो किंतु इस दौर में ऋषिकेश से बदरीनाथ तक आवाजाही करना खतरे का खाली नहीं है। अब मौसम के सुधरने पर ही हाइवे के ट्रीटमेंट और मलवे हटाने की कार्य योजना पर अमल हो पाएगा। इस बीच लोगों को जान हथेली पर रखकर ही आवाजाही करनी पडेंगी।


