देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में त्रिपुरा के 24 वर्षीय छात्र एंजेल चकमा की कथित नस्लीय हिंसा से जुड़ी निर्मम हत्या से पूरे राज्य को शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। इस जघन्य अपराध ने उत्तराखंड की छवि पर काला धब्बा लगा दिया है। यह बात उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने अपने कैंप कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कही।
धस्माना ने कहा कि धर्म, नस्ल या भाषा के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने वाले लोग यह समझें कि उनके अपने बच्चे भी देश-विदेश में पढ़ाई या नौकरी के लिए जाते हैं। कल उनके साथ भी ऐसी घटना हो सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देहरादून अब उच्च और तकनीकी शिक्षा का प्रमुख केंद्र बन चुका है, जहां उत्तर-पूर्वी राज्यों सहित देश भर से हजारों छात्र आते हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
कांग्रेस नेता ने चेतावनी दी कि यदि एंजेल चकमा और उनके भाई के साथ हुई हिंसा जैसी घटनाएं दोहराई गईं, तो बाहरी राज्यों के छात्र देहरादून और उत्तराखंड आना बंद कर देंगे, जिससे राज्य की बदनामी के साथ-साथ उच्च शिक्षा संस्थानों को भी भारी नुकसान होगा।
धस्माना ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की आलोचना करते हुए कहा कि हालांकि सीएम ने एंजेल के पिता से फोन पर दुख व्यक्त किया, लेकिन राज्य के मुखिया के नाते उन्हें पूरे राज्य की ओर से माफी मांगनी चाहिए थी। साथ ही, देश भर के लोगों को आश्वासन देना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं होंगी।
प्रदेश कांग्रेस की ओर से धस्माना ने एंजेल चकमा के परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और कहा, “हम उनके परिवार से क्षमा चाहते हैं कि हमारे राज्य में उनके बेटे की जान नस्लीय हिंसा में चली गई।” उन्होंने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन से पूरे मामले की गहन जांच करने तथा सभी आरोपियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग की।
गौरतलब है कि एंजेल चकमा पर 9 दिसंबर को देहरादून के सेलाकुई क्षेत्र में कथित नस्लीय टिप्पणियों का विरोध करने पर हमला हुआ था, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए थे। 26 दिसंबर को अस्पताल में उनका निधन हो गया। पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि मुख्य आरोपी की तलाश जारी है।


