जय श्री राम
कोटद्वार / गढ़वाल (आचार्य अनुरोध): आप सभी को रक्षाबंधन पर्व की बहुत-बहुत शुभकामनाएं आपके जीवन में रक्षाबंधन भाई बहनों के बीच विश्वास को दृढ़ बनाए रखें । रक्षाबंधन का यह पर्व आज बहुत वर्षों के बाद एक योग के द्वारा बन रहा है जिसे स्वार्थ सिद्धि योग भी कहते हैं रक्षाबंधन पर्व पर स्वार्थ सिद्धि योग, दीर्घायु आयुष्मान योग के साथ-साथ सूर्या शनि के समसप्तक योग सोमवती पूर्णिमा मकर राशि का चंद्रमा ,श्रवण नक्षत्र और उत्तराषाढ़ नक्षत्र ओर प्रीति योग बन रहा है।
इससे पहले यह संयोग वर्ष 1991 में बना था इस संयोग को कृषि क्षेत्र के लिए विशेष फलदाई माना जाता है । रक्षाबंधन से पूर्व 2 अगस्त को रात्रि 8:43 से और 3 अगस्त 2020 सुबह 9:28 बजे तक भद्रा बनी रहेगी। मान्यता है कि रक्षाबंधन पर्व को मनाने के लिए हमारे ग्रंथों में बहुत सारे अनेक प्रकार के विषय हमें प्राप्त होते है और उन्हीं विषयों में एक छोटा सा विषय है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब शिशुपाल का वध करते समय भगवान श्री कृष्ण के बाएं हाथ से रक्त बहने लगा तो द्रोपदी ने तत्काल अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ कर उनके हाथ में बांध दिया था ।
कहा जाता है कि तभी से भगवान कृष्ण द्रौपदी को अपनी बहन मानने लगे और वर्षों बाद जब कौरव और पांडवो के बीच जुआ जिसे पाशा भी कहते हैं शकुनी और दुर्योधन ने मिलकर जब पांडवों से समस्त राज्य जुए में छीन लिया अंत में जब पांडवों के पास कुछ दाव पर लगाने के लिए नहीं रहा तो युधिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगाया जिसे भी वह हार गए द्रोपदी को सभा में बुलाने का आदेश दिया गया और दुशासन को इस कार्य के लिए चिन्हित कर भेजा गया और जब दुशासन द्रौपदी को लेने पहुंचा तो बालों से घसीट कर उसे सभा में लाया गया सभा में आने पर उसके वस्त्रो उतारा जाने लगा तब द्रौपदी ने अपने मन से भगवान श्री कृष्ण का स्मरण किया उनका चिंतन किया और भगवान ने बहन की लाज रखते हुए और उनकी उस चीर को बढ़ाया और दुशासन साड़ी खींचते खींचते थक गया और द्रोपति की लाज बचाई तभी से भी यह भाई बहनों का पर्व मनाया जाने लगा ।
धार्मिक अन्य भी कई मान्यताएं हैं इतने वर्ष बीतने के बाद भी अनेक युग परिवर्तन के बाद भी आज भाई बहनों का यह स्नेह रूपी पर्व मनाया जाता है और जब तक यह सृष्टि रहेगी तब तक यह भाई बहनों के प्रति स्नेह को बढ़ाने वाले इस पर्व को मनाते रहेंगे,,,,
जय श्री राम
आचार्य अनुरोध
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