- मनोज श्रीवास्तव
हरिद्वार : कुम्भ मेला का एतिहासिक एवं पौराणिक महत्व हरिद्वार उत्तराखण्ड में आयोजित होने वाला कुम्भ मेला विश्व का विशालतम स्वतः स्फूर्त समागम तथा तीर्थात्सव है। पौराणिक कथानुसार देवता और दैत्य अलौकिक क्षीर सागर के मंथन में अमृत प्राप्ति के लिए एकत्र हुए तथा निश्चित किया गया कि समुद्र मंथन से निकलने वाले रत्नों, पदार्थों को आपस में बॉट लेंगे इस मंथन में पौराणिक मंदराचल ( पर्वत ) को मथनी और नागों के सम्राट वासुकी को मथने वाली रस्सी की तरह प्रयुक्त किया गया। कहा जाता है कि दस हजार वर्षों तक देव दानव के सागर मंथन के फलस्वरुप अन्य रत्नों के साथ ही अमृत से भरा कलश भी प्राप्त हुआ। अमृत पीने के बाद दानव अमर हो जायेगे, तब संसार का क्या होगा।
इस चिन्ता से देवताओं ने अमृत-कलश को छिपाने का निर्णय लिया इसके लिए देवों और दानवों के बीच संघर्ष हुआ, जिसके दौरान देवताओं के राजा इन्द्र का पुत्र जयंत पहले स्वर्ग के आठ स्थानों पर तथा फिर पृथ्वी पर जहा तहां अमृत कलश को छिपाने के लिए भागता रहा। पुराणों के अनुसार इस संघर्ष से इंद्र के पुत्र जयंत ने अमृत कलश को हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक की भूमि पर रखा, जहा अमृत कलश की कुछ बूंदे भूमि पर गिरी और इन स्थानों को निश्चित नक्षत्रीय दशा में सदा–सदा के लिए अमरत्व प्रदान करने वाली दैवीय उर्जा से समृद्ध कर गयी। इन्ही स्थानो पर कुम्भ मेलों आयोजन किया जाता है। ग्रह नक्षत्रों की विशेष परिस्थितियों की इन कुम्भ पर्वो का निर्धारण करती है इसके कारण लाखों करोड़ों लोगों एक निश्चित समय और स्थन पर एकत्र होते हैं। प्रयाग और हरिद्वार का कुम्भ पर्व गंगा के, तट पर, उज्जैन का क्षिप्रा नदी तट पर तथा नासिक में गोदावरी नदी तट पर कुम्भ पर्व आयोजित होता है। प्रयाग और हरिद्वार में ग्रह योग कुछ ऐसा बनता है कि हर तीसरी वर्ष इन दोनों स्थानों पर कहीं न कहीं कुम्भ अथवा अर्ध कुम्भ का आयोजन होता है।
आम तौर पर माना जाता है कि कुम्भ पर्व स्नान से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है अर्थात मानव को जीवन मृत्यु के चक्र से मुक्ति, मोक्ष मिल जाता है। यह माना जाता है कि कुम्भ क्षेत्र में गंगा जी का समस्त जल सूर्य, चन्द्र तथा अन्य ग्रहों के विद्युत चुम्बकीय विकीरण के प्रभाव से रोग मुक्ति के साथ ही अनेक प्रकार के चमत्कारी प्रभावों को देने वाला होता है। हरिद्वार में प्रत्येक बारह एवं छः वर्ष के अन्तराल पर होने वाला कुम्भ अथवा अर्ध कुम्भ पर्व संसार के सबसे बड़ा तीर्थ मेला उत्सव है। खगोल गणनाओं के अनुसार जब सूर्य मेष राशि में, बृहस्पति कुम्भ राशि में एक साथ होते हैं तब हरिद्वार में कुम्भ पर्व होता है।
सरकार द्वारा नोटिफिकेशन होने के बाद आगामी 1 अप्रैल से 30 अप्रैल 2021 के बीच हरिद्वार कुंभ मेला 2021को भव्य और दिव्य रूप से प्रस्तुत करने की तैयारी पूर्ण हो चुकी है। वर्तमान कुंभ मेला प्रयाग,हरिद्वार,नासिक और उज्जैन में आयोजित होने वाले पिछले सभी कुंभ मेला से भिन्न और अनोखा है। यहाँ कुंभ भी है और कोविड भी है। यहाँ कोविड के नियमों का भी पालन कराना है और कुंभ मेला को भव्यता और दिव्यता को भी बनाये रखना है। आस्था का सैलाब भी है और कोविड के संक्रमण का भय भी है। परन्तु सरकार ने कुंभ मेला को भव्य दिव्य रूप में प्रदर्शित करने के लिये दृढ़ संकल्प लिया है। हरिद्वार महाकुंभ मेला 2021 महत्वपूर्ण आयाम में -मेला क्षेत्र का प्रभावी कार्य एरिया 604 हेक्टेयर में बनाया गया है तथा इसे 23 सेक्टर में प्रशासनिक व एक रेलवे का सेक्टर भी बनाया गया है।
इसके अतिरिक्त श्रद्धालुओं के लिये -अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त मीडिया सेंटर की स्थापना, पावनधाम में 150 बेड का बेस अस्पताल, दूधाधारी बाबा बर्फानी चैरिटेबल ट्रस्ट के अस्पताल में आईसीयू युक्त 500 बेड का कोविड यूनिट, इसके अलावा पंतद्वीप व अन्य सेक्टरों में अलग अलग क्षमता के अस्पताल को भी सुविधा हेतु रखा गया है। 1000 से अधिक शौचालय, 72 से अधिक घाट, फ्लाईओवर-सिंहद्वार, सीतापुर, पुल जटवाड़ा, शंकराचार्य चौक, चंडीचौक, पुराना आरटीओ चौक, शांतिकुंज, नेपाली फार्म, नये पुल-धनौरी पुल, सूखी नदी, रानीपुर रो, दक्ष मंदिर, मातृसदन के पास -हरकी पैड़ी सहित अन्य गंगा घाटों पर सौ से अधिक महिला चेंजिंग रूम सुविधा के रूप में स्थापना की गई है।
उत्तराखण्ड सरकार,सूचना एवम लोक सम्पर्क विभाग द्वारा कुम्भ मेला क्षेत्र चंडी द्वीप, नीलधारा में मीडिया सेंटर 2.6 हेक्टेयर में स्थापित किया गया है। जिसमें सभी अत्याधुनिक सुविधाएं जैसे मेले के सजीव प्रसारण के साथ ही विभिन्न स्थलों पर कैमरा, आप्टिकल फाईबर, ब्राडबैण्ड कनेक्शन सहित कम्प्यूटर स्कैनर्स, फैक्स, फोटो काॅपियर्स, सुविधायुक्त स्टूडियो, आवश्यक कम्प्यूटर साफ्टवेयर तथा आवासीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। देश-विदेश से आने वाले प्रेस प्रतिनिधियों को मीडिया सेन्टर में किसी भी अपने कार्यक्रम रिकार्ड करने की सुविधा स्टूडियों में मिलेगी। भव्य प्रेस कान्फ्रेंस हाॅल में अति विशिष्ट अतिथियों के साक्षात्कार भी करने का अवसर मिलेगा। मीडिया सेन्टर के अलावा विभिन्न महत्वपूर्ण स्थल पर कवरेज हेतु मीडिया प्लेटफार्म, स्थल उपलब्ध रहेंगे। मीडिया सेन्टर में अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा स्थानीय पत्रकारों हेतु अस्थायी एवं अल्पकालिक आवासीय सुविधाएं तथा विभिन्न शाकाहरी व्यंजनों की सुविधा वाले फूडकोर्ट भी स्थापित किया गया है।
अखाड़़ों के धर्मध्वजा की तिथियां
- 2 अप्रैल को श्री पंचयाती बड़ा उदासीन अखाड़ा की धर्म ध्वजा स्थापित होगी।
- 2 अप्रैल को श्री दिंगबर अणि अखाड़ा, श्री निर्वाणी अणि अखाड़ा और पंच निर्मोही अणि अखाड़ा की धर्म ध्वजा बैरागी कैंप में फहराई जाएगी।
- 3 अप्रैल को श्री पंचायती नया बड़ा उदासीन अखाड़े की धर्म ध्वजा फहराई जाएगी।
- 10 अप्रैल को श्री निर्मल अखाड़ा की धर्म ध्वजा फहराई जाएगी।
अखाड़ों के पेशवाई की तारीख
- 4 अप्रैल श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा की पेशवाई दूधाधारी चैक से निकलेगी।
- 5 अप्रैल को श्री पंचायती नया बड़ा उदासीन अखाड़ा की पेशवाई बिशनपुर कटारपुर से निकलेगी। जो विभिन्न मार्ग से होकर पहाड़ी बाजार कनखल स्थित अखाड़़े की छावनी में प्रवेश करेगी।
- 6 अप्रैल को श्री दिगंबर अणि अखाड़ा, श्री निर्वाणी और श्री पंच निर्मोही अणि अखाडे़ की पेशवाई दुर्गादास आश्रम भूपतवाला से निकलेगी और छावनी में प्रवेश करेगी।
- 9 अप्रैल श्री निर्मल अखाड़े की पेशवाई एक्कड़ कलां से निकलेगी और निर्मला छावनी में प्रवेश करेगी।
कुम्भ मेला के शाही स्नान
कुम्भ मेला आकर्षण का केंद्र तीन शाही स्नान है। 12 अप्रैल चैत्र अमावस्या- सोमवती अमावस्या स्नान, 14 अप्रैल मेष संक्रांति कुंभ स्नान और 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा स्नान है।
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, नोडल अधिकारी मीडिया, कुम्भ मेला 2021