गोपेश्वर (चमोली)। बदरीनाथ धाम के कपाटोद्धघाटन की तिथियों में परिवर्तन को लेकर धाम के हक-हकूधारियों के बीच असहमति सामने आने लगी है। मामले में डिमरी धार्मिक पंचायत के प्रवक्ता व विधि समिति के अध्यक्ष व डिमरी धार्मिक पंचायत के अध्यक्ष आमने-सामने आ गये हैं। मामले में जहां पंचायत के अध्यक्ष ने निर्णय का समर्थन किया है। वहीं विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ने गढवाल नरेश से परम्पराओं के मध्य नजर पुर्नविचार का आग्रह किया है।
बता दें कि सरकार ने कोरोना संक्रमण के चलते गढवाल नरेश मनुजेंद्र शाह से बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि परिवर्तन को लेकर राय मांगी गई थी। जिसे लेकर 20 अप्रैल को देहरादून में बैठक कर तिथि परिवर्तन का निर्णय किया गया। साथ ही इसके बाद पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की पूर्व निर्धारित 30 अप्रैल की तिथि को परिवर्तित कर 15 मई करने की जानकारी दी। धाम के हक-हकूकधारी डिमरी ब्राह्मणों ने गढवाल नरेश को बोलांदा बदरी कहते हुए निर्णय को स्वीकार किया। लेकिन केदारनाथ धाम के रावल सहित हक-हकूकधारियों ने तिथि परिवर्तन के फैसले से किनारा कर निर्धारित तिथि को कपाट खुलने की घोषणा की।
इसके पश्चात डिमरी धार्मिक पंचायत के विधि समिति के अध्यक्ष व प्रवक्ता पंकज डिमरी ने पूर्व में डिमरी ब्राहमणों ओर से पूजा करने और बैशाख माह में कपाट खुलने बाध्यता को लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से गढवाल नरेश से तिथि परिवर्तन को लेकर पुर्नविचार करने का आग्रह किया। लेकिन अब डिमरी धार्मिक पंचायत के अध्यक्ष विनोद डिमरी श्रीराम ने बयान जारी कर पंचायत ने सरकार के निर्णय को स्वीकार करने की बात कही है। उन्होंने पंकज डिमरी की ओर से जारी बयान को उनका निजी बयान बताकर मामले से किनारा कर लिया है। ऐसे में डिमरी धार्मिक पंचायत के पदाधिकारियों के बीच निर्णय को लेकर असहमति सामने आने लगी है।
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