नई दिल्ली : रामनवमी के मौके पर देश में कई हिस्सों में हिंसा भड़की थी। उसे देखते हुए केंद्र सरकार अलर्ट हो गई है। गृह मंत्रालय ने अब हनुमान जयंती को लेकर एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में सभी राज्यों से कानून-व्यवस्था बनाए रखने को कहा गया है।मंत्रालय ने हनुमान जयंती की तैयारी को लेकर सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। राज्य सरकारों को कानून और व्यवस्था बनाए रखने को कहा गया है। इसके अलावा त्योहार का शांतिपूर्ण पालन करने और समाज में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले लोगों की निगरानी करने को भी कहा है। रामनवमी के मौके पर कई राज्यों में हुई हिंसा के बाद केंद्र सरकार अलर्ट मोड में है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अब हनुमान जयंती को लेकर सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में गृह मंत्रालय ने हनुमान जयंती को देखते हुए सभी राज्य सरकारों को सतर्क रहने को कहा है। बता दें कि कल 6 अप्रैल को पूरे देश में हनुमान जयंती मनाई जाएगी। गृह मंत्रालय कार्यालय ने ट्वीट किया, “गृह मंत्रालय की ओर से राज्य सरकारों को कानून और व्यवस्था बनाए रखने, त्योहार का शांतिपूर्ण पालन करने और समाज में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाले लोगों की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।
The MHA has issued an advisory to all states in preparation for Hanuman Jayanti. The governments are encouraged to ensure the maintenance of law and order, peaceful observance of the festival, and monitoring of any factors that could disturb communal harmony in society.
— गृहमंत्री कार्यालय, HMO India (@HMOIndia) April 5, 2023
हिंसा पर कलकत्ता हाईकोर्ट सख्, हनुमान जयंती पर निर्देश
उधर, पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार से पूछा कि हनुमान जयंती को देखते हुए राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को हनुमान जयंती के मौके पर शांति बनाए रखने में पुलिस की सहायता के लिए केंद्रीय बलों की मांग करने का निर्देश दिया है। बता दें कि हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई हिंसा को लेकर रिपोर्ट मांगी थी। हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम और हिरणमय भट्टाचार्य की पीठ ने राज्य सरकार को इस संबंध में एक पूरक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें रिसड़ा में हिंसा के कारणों के बारे में जानकारी मांगी गई थी।


