posted on : फ़रवरी 7, 2024 5:11 अपराह्न
देहरादून : क्या आप ऐसे लोगों से नहीं मिलते जो आम तौर पर जीवन के बारे में, मुद्दों के बारे में, काम के बारे में, पेशे के बारे में, करियर के बारे में, रिश्तों के बारे में, परिवारों के बारे में शिकायत करते रहते हैं और यह सूची कभी ख़त्म नहीं होती। लेकिन हमें इस बात का एहसास नहीं है कि ये सब जीवन का ही हिस्सा है। यह पूरी तरह हम पर निर्भर करता है कि हम अपनी सूझबूझ, ताकत और मुस्कान से इन बाधाओं को दूर करने का प्रयास करते हैं। कोई भी कभी नहीं बताता कि जीवन उनके लिए बहुत आसान रहा है, हर किसी का अपना संघर्ष का दौर होता है। यदि आपका अभी है, तो उनका ख़त्म हो सकता है या अभी आना बाकी है। गुलाब को देखने का प्रयास करें, कांटों को नहीं। हमें आभारी होना चाहिए कि एक समय कांटे ही गुलाब की शोभा होते हैं और हमें उन्हें समग्रता से स्वीकार करना चाहिए। खुशबू को महसूस करें और जीवन का उसी तरह आनंद लें… इसी पर भारत की मशहूर शायरा ‘अलीना इतरत जी’ का यह शेर याद आ गया: