नई दिल्ली : अभी दुनिया कोरोना वायरस से छुटकारा पाने की सोच रही है, वहीं चीन के वैज्ञानिकों ने 24 नए कोरोना वायरस खोज लिए हैं. इनमें से 4 कोरोना वायरस Covid-19 जैसे हैं. यानी खतरा चार गुना ज्यादा हो गया है. चीन के वैज्ञानिक कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगा रहे थे, चमगादड़ों की जांच कर रहे थे, इसी दौरान उन्हें इन 24 नए कोरोना वायरसों का पता लगा है. इनमें से एक वायरस इस समय कहर बरपा रहे SARS-CoV-2 वायरस से जेनेटिकली बहुत ज्यादा मिलता है. यानी दुनिया को और सतर्क रहने की जरूरत है.
चीन के वैज्ञानिकों ने इन 24 कोरोना वायरसों को दक्षिण-पश्चिम चीन में मिलने वाले चमगादड़ों में खोजा है. साथ ही यह भी बताने की कोशिश की है कि इन 24 वायरसों में से कितने इंसानों को संक्रमित कर सकते हैं. यह रिपोर्ट Cell जर्नल में प्रकाशित हुई है. शैनडोंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि हमने चमगादड़ों की अलग-अलग प्रजातियों में 24 नए कोरोना वायरस की खोज की है. इनमें से चार कोरोना वायरस ऐसे हैं जो वर्तमान में महामारी का सबब बने हुए कोविड-19 वायरस से मिलते-जुलते हैं.
चीनी वैज्ञानिकों ने मई 2019 से लेकर नवंबर 2020 के बीच दक्षिण-पश्चिम चीन के जंगलों में मौजूद चमगादड़ों के सैंपल लिए. वैज्ञानिकों ने चमगादड़ों के पेशाब और मल की जांच की. साथ ही कुछ चमगादड़ों के मुंह से थूक भी लिया. इसके बाद जब इन सैंपलों की जांच की गई तब इसमें 24 नए कोरोना वायरसों की मौजूदगी का पता चला.
एक चीनी शोधकर्ता के मुताबिक इनमें से एक वायरस SARS-CoV-2 से जेनेटिकली बहुत ज्यादा मिलता है. दुनिया फिलहाल SARS-CoV-2 कोरोनावायरस से ही परेशान है. वैज्ञानिक ने बताया कि जो नया कोरोना वायरस मिला है, उसके स्पाइक प्रोटीन में वर्तमान महामारी वाले वायरस से थोड़ा अंतर है लेकिन वह जेनेटिकली सबसे नजदीक है. स्पाइक प्रोटीन कोरोना वायरस की वह बाहरी कंटीली परत होती है, जो इंसान की कोशिकाओं से वायरस को चिपकने में मदद करती है.
अभी जो कोरोना वायरस खोजे गए हैं, उनमें से कई पिछले साल जून महीने में थाईलैंड में खोजे गए कोरोना वायरस से मिलते-जुलते हैं. इतना ही नहीं कई कोरोना वायरस इस समय लोगों की मौत के जिम्मेदार कोविड-19 वायरस से कई मामलों में मिलते हैं. ये कोरोना वायरस लगातार चमगादड़ों की आबादी के बीच तेजी से फैल रहे हैं. इन्हें रोकना मुश्किल हो रहा है. कोरोना वायरस चमगादड़ों के शरीर को अपना घर बना रहे हैं.
चीन में इन 24 नए कोरोना वायरसों की खोज ऐसे समय हुई है जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर पारदर्शी और पुख्ता सबूतों के साथ जांच की मांग की जा रही है. ताकि दुनियाभर के वैज्ञानिक इसके लिए नई और बेहतर वैक्सीन बना सकें. साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच के दूसरे फेज में मदद मिल सके.
हाल ही में पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की असली उत्पत्ति और महामारी के उपज की पता करने की मांग बहुत तेजी से बढ़ी है. दुनियाभर से अलग-अलग देश WHO और चीन पर निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कराने की मांग कर रहे हैं. क्योंकि कोरोना वायरस महामारी को फैले हुए अब तक डेढ़ साल से ज्यादा का समय हो चुका है लेकिन अब तक इसकी उत्पत्ति और संक्रामकता की सही वजह पता नहीं चल पाई है.
अब दुनिया भर के देश और वैज्ञानिक ये मांग कर रहे हैं कि वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की जांच की जाए. ताकि यह पता चल सके कि क्या कोरोना वायरस वहां से लीक हुआ या प्राकृतिक तरीके से इंसानों में आया. इससे चीन की उन तैयारियों और गलतियों का पता चलेगा जो अलग-अलग तरह के वायरसों के प्रयोग से संबंधित है.
कुछ साल पहले मलेशिया में 8 बच्चे बीमार हुए. इन्हें निमोनिया की शिकायत थी. जब अस्पताल में इनका सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया तो वो एक नए कोरोना वायरस से संक्रमित थे. यह कोरोना वायरस कुत्तों में पाया जाता है. यह जानकारी अब एक स्टडी में सामने आई है. कोविड-19 के आने से पहले लोगों को सिर्फ सात प्रकार के कोरोना वायरस के बारे में पता था. अब जिस नए कोरोनावायरस की खोज हुई है वो संभवतः सूअर से इंसानों में गया रहा होगा. यह मामला पुराना है लेकिन ये अब भी वैश्विक स्तर पर लोगों के लिए खतरा बना हुआ है.
यूनिवर्सिटी ऑफ आईओवा के वायरोलॉजिस्ट स्टैनले पर्लमैन ने कहा कि जितना ज्यादा हम जांच करेंगे उतना ज्यादा डिटेल में जा पाएंगे. इससे हमें पता चलेगा कि कोरोना वायरस कैसे एक प्रजाति के जीव से दूसरी प्रजाति के जीव में प्रवेश कर रहा है. जो कैनाइनलाइक कोरोना वायरस (Caninelike Coronavirus) और फैलाइन कोरोना वायरस (Feline Coronavirus) खोजे गए हैं, अभी तक उनके द्वारा लोगों के संक्रमण की खबर तो आई है. लेकिन एक इंसान से दूसरे में इनका संक्रमण फैला हो, इसकी पुख्ता जानकारी नहीं मिली है.
वहीं, दूसरी तरफ कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस किसी भी इंसान या जीव में खुद को म्यूटेट करने की क्षमता रखता है. वह खुद को इवॉल्व करने की क्षमता रखता है. मलेशिया के एक मरीज में मिले कोरोना वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग से पता चला कि यहां पर चार कोरोना वायरस हैं. दो कुत्तों में पाए जाते हैं. एक बिल्ली में चौथा संभवतः सूअर में. इसके बारे में क्लीनिकल इंफेक्शियस डिजीसेस में रिपोर्ट छपी है. उस पेशेंट के जीन्स से इन चारों कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता चला.
यह पहली रिपोर्ट है जिसमें यह कहा जा रहा है कि कुत्तों में पाया जाने वाले कोरोनावायरस (Canninelike Coronavirus) इंसानों में रेप्लीकेट यानी खुद को बढ़ा सकता है. हालांकि इसे पुख्ता करने के लिए और स्टडी करने की जरूरत है. शोधकर्ताओं ने इस वायरस को कुत्तों के ट्यूमर सेल्स में विकसित किया है लेकिन इंसानों में नहीं. इस स्टडी को करने वाली शोधकर्ता और ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी वूस्टर की वेटरीनरी वायरोलॉजिस्ट एनस्तेसिया व्लासोवा ने कहा कि हमारे पास इस बात के पुख्ता सबूत फिलहाल नहीं है कि ये चारों वायरस इंसानों में विकसित हो सकते हैं या नहीं. लेकिन कुत्तों वाला कोरोना वायरस रेप्लीकेट कर सकता है.
वहीं, दूसरी तरफ…भारत में मौजूद कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट अब कमजोर पड़ रहा है. इसी की वजह से देश में दूसरी लहर आई थी. लेकिन इस वायरस की वजह से पूरी दुनिया अब परेशान है. क्योंकि इसकी वजह से दुनिया के कई देशों में कोरोना संक्रमण की संख्या नीचे नहीं आ रही है. यूनाइटेड किंगडम में डेल्टा वैरिएंट को पहले B.1.617.2 पुकारा जाता था. हाल ही WHO ने सभी वैरिएंट को नाम दिए. जिसमें इस कोरोना वैरिएंट को डेल्टा वैरिएंट बुलाया जा रहा है. इस वैरिएंट को पिछले साल अक्टूबर 2020 को भारत में दर्ज किया गया.
ऐसा माना जा रहा है कि इंग्लैंड में डेल्टा वैरिएंट की वजह से लॉकडाउन में दी गई राहत को इस महीने के अंत तक वापस लिया जा सकता है. क्योंकि ऐसी आशंका है कि डेल्टा वैरिएंट की वजह से वहां पर कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर आ सकती है. UK के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट अल्फा वैरिएंट से 40 फीसदी ज्यादा संक्रामक है. यह पूरे इंग्लैंड के लिए चिंता की बात है. जिन लोगों को वैक्सीन की दो डोज लग चुकी हैं, वो भी इस वैरिएंट की चपेट में वापस आ सकते हैं. या फिर किसी और वैरिएंट के क्योंकि इनका जेनेटिक म्यूटेशन हो चुका है.
डेल्टा वैरिएंट फिलहाल UK में सबसे खतरनाक कोरोना वैरिएंट बनकर सामने आया है. इससे पहले अल्फा वैरिएंट जिसे केंट वैरिएंट भी कहा जाता है, उसकी वजह से यूके में जनवरी में लॉकडाउन लगाना पड़ा था. मैट हैनकॉक ने बताया कि हमारे वैज्ञानिकों ने जांच की है, उसके बाद यह बात पुख्ता की है डेल्टा वैरिएंट अल्फा वैरिएंट से 40 फीसदी ज्यादा संक्रामक है. ऐसी हालत में नए कोरोना वायरसों का मिलना और उनमें से चार का वर्तमान वायरस के समान होना खतरे की घंटी है.
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