हरिद्वार : कुम्भ में अनोखे रंग देखने को मिल रहे है। यहां कोई लंगर चला रहा है तो कोई चाय बंटवा रहा है। इसी के बीच एक और कारोबार भी इस दौरान सातवे आसमां पर है। जबकि चिलम को गुपचुप तरीके से खरीदते है।
जी हां ! इस दौरान हरिद्वार को कोई ऐसा कोना नहीं है जहां मिट्टी से बनी चिलम नहीं बिक रही हो। इस व्यवसाय से जुड़े अधिकांश व्यापारी नाम न छपवाने बावत कह रहे हैं कि हरिद्वार उनके लिए उर्वरा धरती है। मिट्टी से बने बर्तन और मिट्टी की चिलम हरिद्वार में ही सर्वाधिक बिकती है।
बाल्मिकी चौक पर इस व्यवसाय से जुड़ बबलू और प्रियंका का कहना है कि कोरोना से उनके व्यवसाय पर कोई असर नहीं पड़ा है। उनके बंधे हुए ग्राहक है। बजाय कोरोना के दौरान मिट्टी के बर्तन सर्वाधिक बिके है। चिलम पर वह स्पष्ट नहीं बता रहे थे। पर उन्होंने कहा कि इसकी फैक्ट्री हरियाणा के हिसार में हैं। वही से चिलम को वे खरीदते है। यह जानने पर वे आगे बताते हैं कि हरिद्वार में उनका यह व्यवसाय वर्षभर चलता है।


