कोटद्वार (गौरव गोदियाल): लॉकडाउन व अनलाॅक के बीच ज्यादातर लोग घरों में हैं। परेशानी जरूर है, लेकिन मुसीबत की इस घड़ी में वे परिवार के साथ हैं। इसके उलट शहर के अस्पतालों में तैनात नर्सें व टैक्नीशियन एक नए संघर्ष से जूझ रही हैं। कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए वे परिवार से दूर रहकर घंटों काम कर रही हैं। इन हालात में किसी के बच्चों को पड़ोसी संभाल रहे हैं तो किसी के बच्चे ही पूरा घर संभाल रहे हैं। टैक्नीशियन लोग भी निडर होकर कार्य कर रहे है । ऐसा नहीं है कि इन्हें संक्रमण का डर नहीं, लेकिन ड्यूटी पहले है। यहां तक कि बहुत सारी नर्स व टैक्नीशियन अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी घर में छोड़कर अपने दायित्व निभा रही हैं। उनका मानना है कि यह मुश्किल की घड़ी है और ऐसे में हम कैसे पीछे हट सकते हैं। इच्छा बस यही कि जल्द से जल्द दुनिया इस संकटकाल से बाहर आए।
इसी क्रम में राजकीय बेस चिकित्सालय में तैनात रेडियो टैक्नोलौजिस्ट ऋतु उनियाल भी अपनी दो बेटियो को जोकि 7 वर्ष व 2 वर्ष की है को घर में छोड़कर रोज ना जाने कितने लोगों का एक्सरे कर रही है । इनके पति भी रेड़ियो टैक्नीशियन है । दोनो लोग घर के फर्ज के साथ साथ ड्युटी का फर्ज भी अदा कर रहे है ।दोनो बेटियों को घर पर आया व पडोंसियों के सहारे छोड़कर अपने फर्ज का बखूबी निर्वहन कर रहे है ।
ऋतु उनियाल बताती है कि मुझे सबसे ज्यादा डर बच्चों की तरफ से लगता है । बेटी 06 साल की है और दूसरी 02 साल की । ड्यूटी से जब मैं घर जाती हूं सबसे पहले हाथ पैर धोकर वाश रूम में जाती हूं और गर्म पानी से नहाने के बाद ही बच्चों से मिलती हूं । घर में घुसते ही छोटी बेटी गोद में आने की जिद करती है लेकिन मैं उसे किसी तरह से अलग रखती हूं। घर की सारी दूसरी जिम्मेदारी भी रहती हैं पति भी मेरे साथ ही ड्यूटी पर हैं।
ऋतु उनियाल बताती है कि हम दोनों ही मिलकर बच्चों को और घर को संभाल लेते हैं। कभी कभी डर लगता है कि यदि कहीं संक्रमण की चपेट में आ गई तो इन बच्चों को कौन देखेगा। लेकिन ड्यूटी तो ड्यूटी है इससे दूर नहीं भाग सकते। इसलिए मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी कर रही हूं। पति का सपोर्ट है इसलिए ज्यादा समस्या नहीं आ रही। वह कहती है कि हर एक दिन चुनौती भरा होता है, लेकिन वह चुनौती नहीं मेरी जिम्मेदारी है, जिसे मैं हर हाल में पूरा करती हूं।
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