कालागढ़ (कुमार दीपक): कार्बेट नेशनल पार्क की कालागढ़ रेंज में इन दिनों मानव व वन्यजीव प्रेम की घटनाएँ सामने आ रही है। जिससे कालागढ़ वन विभाग भी खुश है तो कालागढ़वासी भी वन्यजीवों को पूरा सम्मान दे रहे है। मानव व वन्यजीवो के मध्य आपसी तालमेल दोनो के अस्तित्व को बनाये रखने का एक बेहतर उदाहरण समाज के सामने पेश कर रहा है।
उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसा यह छोटा सा क्षेत्र कालागढ़ जो हमेशा से ही विवादित रहा है व कालागढ़ हमेशा शासन व प्रशासन की अनदेखी के कारण अपने अस्तित्व को जूझता रहा है। कार्बेट नेशनल की सीमा से लगा होने के कारण कालागढ़ में वन व वन्यजीवों की संख्या बहुतायत में है जो यहाँ के नागरिकों व पर्यटको के लिये आकर्षण का केन्द्र बना रहता है।
अब जैसे ही गर्मी अपने चरम पर पहुँच रही है वैसे ही लोगो के साथ साथ वन्यजीवों का जीना भी दुभर हो गया है। पानी व खाने की तलाश में वन्यजीव नीचे मैदानो की तरफ रूख कर रहे है। अब ऐसे में मानव व वन्यजीव संघर्ष तो लाजिमी हैै। परन्तु कालागढ़ में इसके विपरीत लोगो व वन्यजीवो के प्रति प्रेम बढ़ता नजर आ रहा है। ढेला रेंज में इन दिनों एक हार्नबिल पक्षी का जोड़ा घरो के पास आ गया है व लोगो के घर के समीप पेड़ के निचले तने में अपना घोसला बना लिया है। जिसको खाने के लिये पास के लोग दाना डाल रहे है। दरअसल हार्नबिल पक्षी अपने जीवन में कभी जमीन पर नही उतरता प्रजनन के बाद मादा हार्नबिल पेड़ के एक तने में अपना घोसला बनाती है और नर हार्नबिल उस घोसले के मुहाने को कीचड़ से बंद कर देता है और अंडे से बच्चे के निकलने तक उसी में बंद रहती है। महज चोच निकालने तक की जगह में नर मादा के लिये खाना लाता है। यह देख पास के ही लोग उस नर हार्नबिल को दाना डाल रहे है ताकि पक्षी को इधर उधर भटकना ना पड़े । यह घटना ढेला रेंज की है , वही पुराना कालागढ़ में गौरेया को बचाने के लिये पुराना कालागढ़ निवासी शमशुददीन अंसारी ने अपने आवास पर ही कृत्रिम घोसले बनाये है जिन पर गौरेया आ रही है। इस गर्मी में गौरेया को बचाने का प्रयास सराहनीय है।
लॉकडाउन के कारण हिरन, नीलगाय, बाघ व हाथियों के झुंड भी मैदानो में उतर गये है जो राहगीरो को रोज नजर आ रहे है । परन्तु आश्चर्यजनक तौर पर यह जानवर किसी को कोई नुकसान नही पहुँचा रहे है । ऐसी ही एक घटना शुक्रवार शाम को को हुयी जहाँ एक बाघ हनुमान मंदिर के पास के जंगल के जंगल से निकलकर मुख्य मार्ग के बीच में खड़ा रहा । जहाँ यह सब लोगो को आतंकित करने वाली घटना साबित होती वही इसका उलट कालागढ़ में यह सब आम जनजीवन का हिस्सा बन गयी है। कालागढ़वासियों का वन व वन्य जीवों के प्रति यह प्रेम समाज के लिये एक मिशाल बन कर सामने आ रहा है। इस सबके बाद कहा जा सकता है की कालागढ़ में मानव व वन्यजीव दोनो ही सुरक्षित है। और लोगो को इससे सीख लेनी चाहिये।
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