जान जोखिम में डाल कर कर रहे ग्रामीण आवाजाही
गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले के दशोली विकास खंड के निजमुला घाटी के दूरस्थ गांवों को जोड़े वाली निजमुला-ईराणी-पाणा सड़क पर भैंसोडा गदेरे पर बना पुल वर्ष 2019 की अगस्त माह में आयी आपदा के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया था जिसका निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। ऐसे में क्षेत्र के ग्रामीण गदेरे के उपर से जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर हैं। वहीं विभागीय अधिकारी निर्माण कार्य के लिये बजट की कमी का रोना रो रहे हैं।
बता दें कि वर्ष 2019 के अगस्त माह में निजमुला घाटी के पाणा, ईराणी, झींझी सहित अन्य गांवों को जोड़ने वाली निजमुला-पाणा-ईराणी सड़क पर भैंसोड़ा गदेरे पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। जिसके बाद यहां पीएमजीएसवाई की ओर से गदेरे पर वैकल्पिक व्यवस्था कर वाहनों की आवाजाही शुरु की गई। साथ ही यहां वैली ब्रिज निर्माण के लिये विभाग ओर से करीब 24 लाख का आंगणन शासन को भेजा गया है। लेकिन वर्तमान तक पुल निर्माण के लिये शासन की ओर से वित्तीय स्वीकृत प्रदान नहीं की जा सकी है। जिससे यहां पुल का निर्माण कार्य शुरु नहीं हो सका है।
वहीं क्षतिग्रस्त पुल के मलबे के निस्तारण के लिये विभाग की ओर से जारी निविदा के लिये भी अभी कोई आवेदन नहीं मिल सका है। ऐसे में साफ है कि इस वर्ष भी बरसात में यहां ग्रामीणों को आवाजाही के लिये खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। स्थानीय ग्रामीण राजे सिंह और हीरा सिंह का कहना है कि बारिश होने की सूरत में गदेरे का जल स्तर बढने से विभाग की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर तैयार कॉजवे पानी में डूब जाता है तथा यहां मलावा आने से आवाजाही खतरनाक हो जाती है। उन्होंने मामले में शासन और प्रशासन से ग्रामीणों की समस्या को गंभीरता से समझते हुए शीघ्र समाधान की मांग उठाई है।
क्या कहते है अधिकारी
निजमुला-पाणा-ईराणी सड़क पर भैंसोड़ा गदेरे में क्षतिग्रस्त पुल के निर्माण के लिये वैली ब्रिज निर्माण के लिये 24 लाख का प्रस्ताव तैयार कर शासन में स्वीकृति के लिये भेजा गया है। वित्तीय स्वीकृति मिलते ही पुल का निर्माण कार्य शुरु करवाया जाएगा। वहीं यहां क्षतिग्रस्त पुल के मलबे के निस्तारण के लिये भी निविदा आमंत्रित की गई है। लेकिन अभी तक मलबा निस्तारण के लिये कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है।
तनूज काम्बोज, प्रभारी अधिशासी अभियंता, पीएमजीएसवाई, पोखरी
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