पटना : बिहार में शिक्षक नियुक्ति की नियमावली में बड़ा बदलाव किया गया है। मंगलवार (27 जून) को हुई कैबिनेट की बैठक में संशोधन करते हुए कहा गया है कि अब शिक्षक बनने के लिए बिहार का स्थायी होना जरूरी नहीं है। पहले भर्ती के लिए बिहार का निवासी होना जरूरी था। नई शिक्षक बहाली नियमावली के तहत बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा बीते 15 जून से आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू है। 12 जुलाई तक अंतिम तिथि है। बता दें कि एक तरफ पहले से ही बिहार के शिक्षक संघ और 2019 के शिक्षक अभ्यर्थी नई शिक्षक बहाली नियमावली का विरोध कर रहे हैं तो अब राज्य सरकार ने नया नियम निकाल दिया है। कैबिनेट की बैठक में आज लिए गए इस निर्णय में यह साफ हो गया कि विद्यालय अध्यापक के पद पर नियुक्ति के लिए बिहार का स्थायी निवासी होने की अनिवार्यता नहीं रहेगी। बिहार के बाहर के अभ्यर्थी भी शिक्षक बहाली में आवेदन कर सकते हैं। उनके लिए किसी प्रकार की शर्त नहीं है।
बिहार के अभ्यर्थियों की हकमारी, फैसले से आक्रोश
बिहार सरकार के इस फैसले से स्थानीय शिक्षक अभ्यर्थी आक्रोशित हैं। छात्र संघ से जुड़े लोगों ने बताया कि यह निर्णय बिहार सरकार का बहुत गलत है। सरकार के इस फैसले ने बिहार के अभ्यर्थियों के लिए हकमारी का काम किया गया है। किसी भी राज्य में जो आरक्षण होता है वह उस राज्य के मूल निवासी का होता है। बिहार सरकार 35 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दे रही है तो बाहर की महिलाएं भी फॉर्म भरेंगी, तो उसे भी आरक्षण मिलेगा। यह नियम लाकर नीतीश कुमार ने बिहार के बेरोजगार युवाओं के लिए ठीक नहीं किया है। हम इससे काफी निराश हैं।
बिहार के युवाओं के साथ धोखा, आंदोलन भी करेंगे
नीतीश सरकार के इस फैसले के बाद बिहार के अभ्यर्थी निराश है। उनका साफ़ कहना है कि जब दूसरे राज्यों में राज्य सरकार शिक्षक अभ्यर्थी के लिए विज्ञापन निकालती है तो नोटिफिकेशन में साफ़-साफ लिखा होता है कि दूसरे राज्य के कैंडिडेट यहां अप्लाई नहीं कर सकते, लेकिन बिहार में इस तरह का किया जाना बिहार के युवाओं के लिए सरासर धोखा होगा। छात्र संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि हम अभ्यर्थियों से बात कर रहे हैं। अगर जरूरत पड़ी तो इस पर हमलोग आंदोलन भी करेंगे।