विजय शंकर
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी जातियों के लोंगो का समुचित विकास चाहते है इसलिए बिहार विधानसभा से दो बार जातीय जनगणना को लेकर प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित करवाने के साथ ही मांग की गई थी कि साल 2021 में होने वाली जनगणना में जातीय आंकड़े दिए जाएं जिसके लिए मुख्यमंत्री, नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जातीय जनगणना के मसले पर 4 अगस्त को बिहार के प्रतिनिधि मंडल के साथ मुलाकात का समय मांगा था | आज यानी 23 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बिहार की सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने मिलकर जातीय जनगणना कराने की मांग रखीं हैं। उक्त बातें जदयू प्रवक्ता डॉ सुहली मेहता ने कही।
उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण बिहारवासियों को पूरी उम्मीद है कि जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार जरूर सही फैसला लेगी। प्रधानमंत्री ने जातीय जनगणना की मांगो को लेकर बिहार के प्रतिनिधिमंडल की बात को बड़े गौर से सुना है और जैसा कि मुख्यमंत्री,नीतीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने जातीय जनगणना के मांगों को नकारा नहीं है। ऐसे में सभी को उम्मीद है कि इस पर विचार करके जल्द ही जातिगत जनगणना का आदेश जारी करने का निर्णय केंद्र सरकार लेगी।
आगे डॉ. मेहता ने कहा कि जातिगत जनगणना बेहद जरूरी है। यह एक बार हो जाएगा तो सब की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। जिन वर्गों को सरकारी योजनाओं का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है उनके बारे में भी ठीक ढंग से योजनाएं बन पाएंगी। विकास के लिए ठीक से काम होगा। हर तबके के समुचित विकास के लिए सभी जातियों की जनगणना आवश्यक है। जाति एक सामाजिक सत्य है इसलिए जनगणना में जाति का कॉलम होना ही चाहिए। किसी भी योजना को बनाने का आधार जनसंख्या ही है इसलिए सभी जातियों का जातिगत गणना और उसका प्रकाशन निश्चित रूप से होना चाहिए। देश में किसी खास वर्ग के जातियों के जनगणना से बाकी जातियों के लोगों में असंतोष की भावना पैदा होगी।


