कोटद्वार । पुरानी पेंशन बहाली सँयुक्त मोर्चा के द्वारा पुरानी पेंशन बहाली किये जा रहे आंदोलन में आने वाली 1 अक्टूबर को कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के लिए काला दिवस मनाएंगे क्योंकि 1 अक्टूबर 2005 को ही कर्मचारियों की पेंशन राज्य में बंद हुई। इस दिन सभी nps और ops कर्मचारी काली पट्टी या काला मास्क पहनकर विरोध जताएंगे, अपने सभी सोशल मीडिया एकाउंट पर काली तस्वीर लगाएंगे व रात 8 बजे से 9 बजे अपने घरों पर लाइट ऑफ रखेंगे।कर्मचारियों का कहना है कि पुरानी पेंशन के होने से कर्मचारी के जीवन मे एक सुरक्षित भविष्य के लिए संकटों से लड़ने के लिए ढाल लेकिन आज सेवानिवृत्त कर्मचारी असहाय है।
प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली का आंदोलन जमीन से लेकर सदन तक चलाया जाएगा और तब तक नही रुकेगा जब तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं हो जाती । देश के विकास में योगदान के बावजूद आज राजकीय क्षेत्र का कर्मचारी निजी क्षेत्र के कार्मिकों वाली पेंशन योजना में शामिल है जिसमे उसे सेवानिवृत्त होने के बाद गुज़ारे लायक भी वेतन नही मिल रहा। हम उन सभी जनप्रतिनिधियों का धन्यवाद करते हैं जो इसके लिए संयुक्त मोर्चा के साथ खड़े हैं। सरकार से यही निवेदन है कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान देने की कृपा कर पुरानी पेंशन को बहाल करे।
प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था व भविष्य भी पुरानी पेंशन बहाली से जुड़ी हुई है। आज जो कर्मचारी नई पेंशन योजना की कम सेवानिवृति धनराशि से डरकर अपने वेतन से काफी धन बैंकों में जमा करने पर मजबूर है पुरानी पेंशन बहाली के बाद वह इसे खुलकर बाजार में व्यय कर सकेगा । जिससे रोजगार और बाज़ार की स्थिति मजबूत होगी। एक व्यक्ति जिसका मासिक व्यय उसके मासिक वेतन से चलता हो अचानक सेवानिवृति के बाद उसे पेंशन के रूप में मात्र एक हज़ार की धनराशि मिले यह अन्याय है। इसलिए नई पेंशन की इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था को हटाकर पुरानी पेंशन को बहाल किया जाय।
मिलेंद्र बिष्ट प्रदेश सयोंजक द्वारा अवगत कराया गया कि उत्तराखंड सरकार विधानसभा में पुरानी पेंशन बहाली हेतु संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को प्रेषित करने हेतु अपेक्षा की गई।विशेष-सँयुक्त मोर्चे की पहल का सरकार संज्ञान ले रही हैं ये अच्छी बात है। सँयुक्त मोर्चा लगातार इस ओर सरकारों का ध्यान आकृष्ट करा रहा है जिसे लगातार कार्मिकों का समर्थन मिल रहा है। वर्तमान में राज्य के कैबिनेट मंत्री इस बाबत सरकार को पत्र लिख चुके हैं।
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