कुर्सी से नहीं, कर्म से नेतृत्व’ : डीएम स्वाति एस. भदौरिया बनीं आपदा प्रबंधन की मिसाल
पौड़ी : पौड़ी गढ़वाल में हाल ही में आई भीषण आपदा के दौरान जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने प्रशासनिक दक्षता और मानवीय संवेदनशीलता का ऐसा उदाहरण पेश किया, जिसने संकट की घड़ी में लोगों के मनोबल को मजबूत किया। उन्होंने स्वयं ग्राउंड जीरो पर रहकर राहत और बचाव कार्यों का नेतृत्व किया। पौड़ी गढ़वाल में बुधवार, 06 अगस्त 2025 का दिन कुदरत के कहर के नाम रहा। जिले के पाबौ विकासखंड के ग्राम सैन्जी में बादल फटने और समीपस्थ ग्राम बुरांसी में भारी बारिश से हुए भूस्खलन में दो महिलाओं की मलबे में दबकर मौत हो गई, जबकि थलीसैंण तहसील के बांकुड़ा गांव में बादल फटने से सड़क निर्माण में लगे पांच नेपाली मजदूर बह गए और चार अन्य घायल हो गए। इन घटनाओं ने पूरे जिले में तबाही मचा दी है, कई आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हुए हैं और प्रमुख मार्ग अवरुद्ध हो गए थे ।
जब प्रकृति कहर बरपाती है, तो किसी भी जिले के प्रशासन की असली परीक्षा होती है। ऐसी कठिन परिस्थितियों में, जहां एक तरफ जीवन और सम्पदा खतरे में होती है, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक नेतृत्व की दिशा और दशा तय होती है। हाल ही में आई भीषण आपदा के दौरान, जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने जिस तरह का नेतृत्व और संवेदनशीलता दिखाई, वह न केवल प्रभावित जिले के लिए आशा की किरण बनी, बल्कि पूरे प्रशासनिक जगत के लिए एक नई ‘नजीर’ पेश की। डीएम स्वाति एस. भदौरिया ने इस संकटकाल में अपने दफ्तर की वातानुकूलित कुर्सी पर बैठने के बजाय, व्यक्तिगत रूप से ‘ग्राउंड जीरो’ पर मोर्चा संभाला।
हाल ही में आई भीषण प्राकृतिक आपदा के दौरान, जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने न सिर्फ इस धारणा को बदला, बल्कि अपने कार्य से पूरे राज्य के लिए एक नई नजीर पेश की है। डीएम भदौरिया ने आपदा प्रबंधन के पारंपरिक तरीके से हटकर, सीधे ग्राउंड जीरो पर मोर्चा संभाला। उनका यह नेतृत्व केवल प्रशासनिक दक्षता का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह एक मानवीय चेहरा था, जिसने प्रभावितों के घावों पर मरहम लगाने का काम किया।
उत्तराखंड में मानसून का मौसम अक्सर राहत के साथ-साथ आपदाएं भी लेकर आता है। 6 अगस्त, 2025 को पौड़ी गढ़वाल जिले में भारी बारिश और भूस्खलन ने कई क्षेत्रों में व्यापक तबाही मचाई। प्राकृतिक आपदा के इस संकट के बीच, नेतृत्व की सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है। पौड़ी गढ़वाल की जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने इस मुश्किल घड़ी में जिस तरह से कमान संभाली, वह प्रशासनिक दक्षता और मानवीय संवेदनशीलता का शानदार उदाहरण रहा। सरकारी कार्यालयों की चारदीवारी से बाहर निकलकर, डीएम भदौरिया ने स्वयं ग्राउंड जीरो पर मोर्चा संभाला। उनकी लगातार मॉनिटरिंग, त्वरित निरीक्षण और प्रभावितों के साथ व्यक्तिगत मुलाकात ने इस आपदा प्रबंधन को एक नई गति और विश्वसनीयता दी।
स्वयं संभाला मोर्चा : ग्राउंड जीरो पर रही डीएम स्वाति एस. भदौरिया
आपदा के दौरान नियंत्रण कक्ष (Control Room) से स्थिति की निगरानी करने के साथ ही डीएम स्वाति एस. भदौरिया ने खुद को सबसे कठिन और प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित किया। प्रभावित इलाकों में उनकी उपस्थिति ने यह सुनिश्चित किया कि राहत और बचाव कार्य बिना किसी देरी के हो। यह उनका ‘स्वयं मोर्चा संभालना’ ही था, जिसने फील्ड में काम कर रही टीमों के हौसले को दोगुना कर दिया। उनके लिए डीएम का अर्थ सिर्फ एक पद नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और एक सक्रिय सहयोगी था। विपरीत परिस्थितियों में धूल, पानी और कीचड़ में खड़े होकर उन्होंने यह साबित किया कि संकटकाल में नेतृत्व का अर्थ कुर्सी पर बैठकर आदेश देना नहीं, बल्कि जनता के बीच खड़े रहना होता है।
ग्राउंड जीरो पर डीएम की मौजूदगी : प्रभावितों से सीधा संवाद
आपदा के बाद से जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया लगातार फील्ड में सक्रिय रही। उन्होंने कोटद्वार, दुगड्डा, यमकेश्वर और पोखड़ा जैसे आपदाग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया, जहां भूस्खलन और बारिश ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया । राहत शिविरों में जाकर उन्होंने भोजन, पानी, दवा और अन्य आवश्यक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि डीएम भदौरिया ने प्रभावित परिवारों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की। उन्होंने उनकी आपबीती सुनी, उन्हें हर संभव सरकारी मदद का आश्वासन दिया और उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को समझने का प्रयास किया। उनकी इस संवेदनशीलता और सीधी बातचीत से आपदा पीड़ितों को काफी संबल मिला है और प्रशासन पर उनका विश्वास बढ़ा ।
समन्वित प्रयास और प्रभावी निगरानी
जिलाधिकारी ने लोक निर्माण विभाग, जल संस्थान, विद्युत विभाग और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर उन्हें प्राथमिकता के आधार पर सड़कें खोलने, पेयजल और बिजली आपूर्ति बहाल करने तथा घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के निर्देश दिए। राशन और पशुओं के चारे जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी उन्होंने उचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित कीं। कई स्थानों पर खुद मौके पर मौजूद रहकर उन्होंने जेसीबी मशीनों के माध्यम से मलबा हटाने के कार्यों का पर्यवेक्षण किया, जिससे कार्यों में तेजी आई।
सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा
इस आपदा के दौरान, डीएम भदौरिया ने सामुदायिक भागीदारी को भी प्रोत्साहित किया। उन्होंने स्थानीय लोगों से आगे आकर मदद करने की अपील की और उनकी सक्रिय भागीदारी ने राहत एवं बचाव कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह दर्शाता है कि जिलाधिकारी केवल एक प्रशासक नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक और प्रेरक भी हैं।
नेतृत्व का मानवीय चेहरा
डीएम स्वाति एस. भदौरिया की इस सक्रिय भागीदारी और व्यक्तिगत निगरानी का परिणाम यह रहा कि पौड़ी गढ़वाल में राहत कार्यों में उल्लेखनीय तेजी आई । उनके नेतृत्व ने न केवल त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित की, बल्कि प्रशासन और जनता के बीच विश्वास का एक मजबूत पुल भी बनाया। आपदा के इस कठिन समय में उनके नेतृत्व ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि कैसे एक प्रशासनिक अधिकारी जमीनी स्तर पर उतरकर जनता के दुख-दर्द में सहभागी बन सकता है।
आपदा प्रबंधन में नजीर पेश करती डीएम स्वाति एस. भदौरिया
पौड़ी गढ़वाल में 6 अगस्त की आपदा के दौरान जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया का कार्य सराहनीय रहा । उन्होंने न केवल अपनी प्रशासनिक क्षमता का परिचय दिया, बल्कि इस कठिन घड़ी में लोगों का मनोबल भी बढ़ाया। उनके नेतृत्व ने यह साबित किया है कि एक सक्षम नेतृत्व और प्रभावी आपदा प्रबंधन किसी भी संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। डीएम भदौरिया का प्रयास निश्चित रूप से अन्य प्रशासकों के लिए एक मिसाल बनेगा।
आपदा घटनाक्रम
पाबौ में बादल फटा, दो महिलाओं की मौत
जनपद आपातकालीन परिचालन केंद्र पौड़ी को सुबह करीब 09:00 बजे सूचना मिली कि 06 अगस्त, 2025 को सुबह लगभग 06:00 बजे पाबौ विकासखंड के ग्राम सैन्जी में बादल फट गया। इसी के चलते समीपस्थ ग्राम बुरांसी में अतिवृष्टि के कारण भूस्खलन हुआ, जिसमें एक आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हो गया। भवन के मलबे में 02 महिलाओं के दबने की सूचना से हड़कंप मच गया। सूचना मिलते ही उपजिलाधिकारी पौड़ी को संबंधित राजस्व निरीक्षक एवं राजस्व उप निरीक्षक को तत्काल मौके पर रवाना करने के निर्देश दिए गए। हालांकि, मौके पर पहुंचने से पहले ही एक और बुरी खबर मिली। बुवाखाल-थलीसैंण-धुमाकोट-रामनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर कलगड़ी में स्थित झूला पुल पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके कारण मोटर मार्ग पर आवागमन पूरी तरह से बाधित हो गया।
जिलाधिकारी ने संभाला मोर्चा, रैदुल में राहत शिविर
इसी बीच, ग्राम रैदुल, पट्टी पैडुलस्यूं, तहसील पौड़ी में भी भूस्खलन की सूचना परिचालन केंद्र पौड़ी में प्राप्त हुई। सूचना मिलते ही जिलाधिकारी, गढ़वाल तत्काल ग्राम रैदुल के लिए रवाना हुईं। उन्होंने गांव का निरीक्षण किया और भूस्खलन की चपेट में आए परिवारों के लिए प्राथमिक विद्यालय रैदुल में तत्काल अस्थायी राहत शिविर स्थापित करवाया। शिविर में भोजन, साफ-सफाई, विद्युत आदि की आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करवाई गईं।
थलीसैंण में नेपाली मजदूर बहे, 4 घायल
उसी दिन सुबह 08:30 बजे, जनपद की तहसील थलीसैंण के अंतर्गत ग्राम बांकुड़ा में भी बादल फटने की गंभीर घटना रिपोर्ट की गई। इस आपदा में मोटर मार्ग पर कार्य कर रहे 05 नेपाली मजदूर बह गए, जबकि 04 मजदूर घायल हो गए। घायलों को तत्काल उपचार के लिए भेजा गया है और लापता मजदूरों की तलाश जारी है।
राहत एवं बचाव कार्यों में स्थानीय लोगों का सहयोग
ग्राम रैदुल का निरीक्षण करने के बाद जिलाधिकारी गढ़वाल जनपद आपातकालीन परिचालन केंद्र पौड़ी में तैनात रहीं और संबंधित अधिकारियों को राहत एवं बचाव के संबंध में लगातार निर्देश जारी करती रहीं। उन्होंने अधिशासी अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग, श्रीनगर को बुवाखाल-थलीसैंण-धुमाकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर क्षतिग्रस्त झूला पुल के स्थान पर तत्काल वैली ब्रिज स्थापित करने का निर्देश दिया।
मोटर मार्गों और पैदल मार्गों की स्थिति तथा स्थानीय प्रशासन के पहुंचने में लगने वाले अधिक समय को देखते हुए, जिलाधिकारी ने संबंधित ग्रामों के ग्राम प्रधान, ग्राम प्रहरी, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशासन की ओर से राहत बचाव कार्यों में स्थानीय व्यक्तियों से सहयोग प्राप्त करने के लिए निर्देशित किया। इस निर्देश के क्रम में स्थानीय व्यक्तियों के सहयोग से ग्राम बुरांसी, विकासखंड पाबौ में भूस्खलन से क्षतिग्रस्त भवन के मलबे से दबी 02 महिलाओं के शव निकाले गए।
दैवीय आपदा से प्रभावित ग्रामों में संवेदनशील और जिनके भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे, ऐसे परिवारों हेतु निकटतम राजकीय भवनों में तात्कालिकता के आधार पर अस्थायी राहत शिविर स्थापित करवाते हुए शिविर में खाद्यान्न, पेयजल, विद्युत एवं साफ-सफाई की आवश्यक व्यवस्थाएं संपादित करवाई गईं।
डीएम स्वाति एस. भदौरिया का यह नेतृत्व इस बात का प्रमाण है कि प्रशासनिक पद केवल जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सेवा और संवेदना का माध्यम भी होता है। संकट की इस घड़ी में उनका समर्पण आने वाले समय के लिए आपदा प्रबंधन की एक प्रेरणादायक मिसाल बन गया है।


