चमोली । बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि परिवर्तन के बाद ज्योतिषाचार्यों में भी तिथि को लेकर अलग-अलग मत सामने आने लगे हैं। जहां बदरीनाथ के धर्माधिकारी व डिमरी पंचायत की ओर से तिथि को उपयुक्त बताया जा रहा है। वहीं ज्योतिषाचार्यों का एक वर्ग तिथि के उपयुक्त होने पर सहमति नहीं जता रहा है। उन्होंने निर्धारित तिथि के ज्येष्ठ माह में होने की बात कही है।
बता दें कि सरकार और गढवाल नरेश की सहमति के बाद बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि को 30 अप्रैल से 15 मई के लिये प्रवर्तित कर दिया गया है। ऐसे में भगवान बद्रीविशाल के कपाट खुलने की तिथि में परिवर्तन होने के बाद ज्योषिचार्यों में तिथि निर्धारित को लेकर असहमति के सुर उभरने लगे हैं। जहां बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन उनियाल की ओर से निर्धारित तिथि के बैषाख माह की अष्टमी तिथि कृष्ण पक्ष के मेष लग्न होने की बात कही गई है। वहीं अन्य ज्योतिषाचार्यों की ओर से 15 मई को दो गते जेष्ठ कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि होना बताया जा रहा है।
ऐसे में स्थानीय मान्यताओं अनुसार कृष्णपक्ष की दो गते कपाट खुलने की तिथि को शास्त्र सम्मत नहीं माना जा रहा है। वहीं मामले में डिमरी धार्मिक पंचायत के विधि समिति के अध्यक्ष पंकज डिमरी ओर से भी निर्धारित तिथि के ज्येष्ठ माह में होने की बात सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में कही है। वहीं उन्होंने धाम की पूजा को लेकर निर्धारित परम्परा को प्रदर्शित करने वाले नारद पुराण के अध्याय 2/67/37 के श्लोक को भी उदृद्धत करते हुए बताया है कि बैसाख मास में देवता अपने निजी मंदिरों में चले जाते हैं और कार्तिक मास मे पुनः आ कर अर्चना करते है। इस प्रकार बैसाख मास से मानवों द्वारा पूजा प्रारम्भ होती है। लेकिन तिथि परिवर्तन से कपाट जेठ मास में कृष्ण पक्ष में खोले जा रहे है। जिससे उन्होंने शास्त्र सम्मत मान्यता का उल्लघंन बताया है।
राजदरबार की ओर से बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि में किये गये परिवर्तन में कोई अशुभ संकेत नहीं है। तिथि परिवर्तन मानव जाति की रक्षा के लिए की गई है।
भुवन उनियाल, धर्माधिकारी, बदरीनाथ धाम।
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