चमोली : जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा में चेन लिंक फेन्सिंग तकनीक कारगर साबित हो रही है। चमोली जनपद में कृषि विभाग द्वारा नवाचार गतिविधियों के तहत चेन लिंक फेन्सिंग को पाॅयलेट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रयोग किया गया। जिसके अब अच्छे परिणाम सामने आने लगे है। दरअसल जंगली जानवर फसलों को नुकसान पहुॅचाकर किसानों को हर साल लाखों की चपत लगा देते है। जंगली जानवरों से कृषक हर रोज परेशान और चिन्तित रहते है। कृषकों की इस गंभीर समस्या को देखते हुए वर्ष 2019-20 में कृषि विभाग के माध्यम से जिला योजना के अन्तर्गत नवचार गतिविधियों के रूप में चेन लिंक घेरवाड तकनीक अपनाई गई। न्यायपंचायत बैरांगना के सैकोट, कोटेश्वर तथा दुर्मी गांवों को इस कार्य हेतु पाॅयलेट प्रोजेक्ट के रूप में चयनित कर प्रयोग किया गया।
मुख्य कृषि अधिकारी राम कुमार दोहरे ने बताया कि इन गांवों में जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु 17.94 लाख लागत से 1200 मीटर लम्बाई में लगभग 10 हैक्टियर कृषि क्षेत्रफल की चेन लिंक घेरबाड़ की गई। साथ ही कृषि विभाग की आतमा एवं पीकेवीआई योजना के अन्तर्गत कृषकों को तकनीकि सहयोग दिया गया। यहां पर किसानों द्वारा धान, गेहूॅ, मंडुवा, साॅवा आदि नगदी फसलों का वैज्ञानिक तरीके से आज सर्वोत्तम उत्पादन किया जा रहा है। जिससे किसानों को प्रतिवर्ष 1.50 लाख से 2.00 लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है। जंगली जानवरों से निजात दिलाने के लिए विभाग की इस पहल से किसान बेहद खुश है और नगदी फसलों के उत्पादन को लेकर खासे उत्साहित भी है। जानवरों से फसलों की सुरक्षा हेतु चेन लिंक घेरवाड तकनीक टिकाऊ, सस्ती एवं क्षेत्र विशेष हेतु काफी सुविधाजनक है। इसको देखते हुए किसानों द्वारा अब प्रमुखता इसकी मांग की जाने लगी है।