कोटद्वार (शैलेंद्र सिंह): जहां कोरोना महामारी से हर कोई डरा हुआ है, वहीं पुलिस महकमे में नारी शक्ति योद्धा की तरह मैदान में डटी हैं। महिला पुलिसकर्मी दोहरी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रही हैं। पूरा दिन कोरोना से लोगों को बचाने के लिए लॉकडाउन की ड्यूटी और इसके बाद बच्चों को इस संक्रमण से बचाने की जद्दोजहद। कोई दूध पीते बच्चे को तो कोई किशोरावस्था में पहुंच चुके बच्चों को छोड़कर अपने फर्ज को पूरा कर रही हैं। उनके इस समर्पण को हर कोई सलाम कर रहा है।
ऐसा ही एक मामला पौड़ी जिले कोटद्वार थाने में तैनात महिला सिपाही श्रीयंका का सामने आया है। कोरोना से भयभीत इस महिला के परिवार वालों ने लाख समझाया कि, वो पुलिस से छुट्टी लेकर घर बैठ जाये। घर वालों ने दो साल के मासूम बेटी की दुहाई और उसकी जिंदगी का भी वास्ता दिया। अपनी पर अड़ी और मजबूत जज्बे वाली जांबांज महिला सिपाही ने मगर दो टूक सबको बता दिया, ‘कोरोना जैसी मुसीबत में भी मैं पुलिस की ड्यूटी से छुट्टी लेकर घर बैठ जाऊंगी तो, फिर कब के लिए पुलिस की वर्दी पहनी है?
महिला सिपाही श्रीयंका अपनी दो वर्ष की मासूम बच्ची के साथ गोविंद नगर स्थित किराये के मकान पर रहती है । श्रीयंका के पति प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते हैं वो हरिद्वार में रहते हैं । ऐसे में पड़ोस में रहने वाले परिवार के भरोसे बच्ची को छोड़कर ड्यूटी करती हूं । फिलहाल तमाम दुनियादारी से बेखबर अब पौड़ी के कोटद्वार थाने में तैनात यह महिला सिपाही कोरोना से बेखौफ होकर कौड़ियां चैकपोस्ट पर प्रवासियों का डाटा तैयार कर रही है । जोकि सबसे डेंजर जोन है ।
महिला कांस्टेबल श्रेयंका बताती है कि कोरोना महामारी को रोकने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। मुझे ऐसे कठिन हालात में देशसेवा का मौका मिला है। मेरी दो वर्ष की छोटी बेटी है । बेटी की देखभाल के साथ ही पुलिस की ड्यूटी का फर्ज पूरी शिद्दत से निभा रही हूं। सुबह साढ़े पांच बजे उठकर घर का काम निपटाती हूं । उसके बाद ड्यूटी के लिए निकल जाती हूं । ड्यूटी से घर जाने के बाद खुद को सैनिटाइज कर और वर्दी धोकर ही बेटियों से दुलार कर पाती हूं। कर्त्तव्य का निर्वाह मेरी प्राथमिकता है।
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