गोपेश्वर (चमोली)। केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक के विकास के दावे कितने खोखले साबित हो रहे है और विकास शब्द कितना हास्यास्पद लगता है जब ऑन लाइन पढ़ाई के लिए ग्रामीण क्षेत्र के बच्चें चार किलोमीटर का पैदल रास्ता नाम पर नेटवर्क क्षेत्र खोजने की कोशिक करते हुए दिखते है। सलाम है इन बच्चों के हौसले को जो अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए भारी मुसीबत के बार भी किसी तरह ऑन लाइन पढ़ाई कर रहे है।
कोरोना संक्रमण के चलते हुए लाक डाउन के कारण स्कूल कालेज बंद हैं। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिये ऑन लाइन पढ़ाई की करवायी जा रही है। लेकिन चमोली जिले में कई ऐसे गांव है जो आज भी नेटवर्क से नहीं जुडे हुए है। ऐसे में बच्चे ऑन लाइन पढ़ाई करे तो कैसे। शेडो एरिया के बच्चे बिना नेटवर्क के किस परेशानी के साथ अपनी पढ़ाई कर रहे है। चमोली जिले के दशोली विकास खंड के ईराणी गांव के इंटर कालेज के बच्चे चार किलोमीटर की चढाई चढ़ कर नेटवर्क क्षेत्र में आकर अपनी पढ़ाई कर रहे है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि यदि इस चार किलोमीटर के पैदल रास्ते में बच्चों के साथ कोई अप्रिय घटना घट जाय तो इसकी जिम्मेदारी किसी होगी। इंटर कॉलेज के छात्रों को चार किलोमीटर की चढ़ाई चढ़ने के बाद संकटा धार तौक में जहां पर कभी कभार मोबाइल के सिग्नल आते जाते रहे है वहीं पर छात्र अध्यापकों से संपर्क कर मोबाइल के माध्यम से पढ़ाई कर रहे है। अभी फिलहाल जिन बच्चों कोनौवीं तथा 10वीं के बच्चों को संकटाधार तौक में पांच-पांच का ग्रुप बना कर शारीरिक दूरी के साथ बच्चें अपनी पढ़ाई कर रह है। इसके बाद 11वी व 12वीं के छात्रों की भी इसी तरह पढ़ाई होनी है।
क्या कहते है बच्चे
शिवम, सविता, वंदना, सचिन, गौरव, कविता, विकास, महिमा, संदीप कहते हैं गुरूजी पढ़ना चाहते हैं। जानकारी भी दे रहे हैं। पर गांव में नेट वर्क नहीं है। इसलिये चार किमी ऊंची धार मे़ जाकर बड़ी मुश्किल से मिलते सिंग्नल से पढ़ रहे हैं। क्या करें।
क्या कहते है अभिभावक
बच्चों के अभिभावक प्रेम सिंह, मनवर सिंह, नत्थी सिंह व विजय सिंह का कहना है कि गांव में नेटवर्क न होने के कारण परेशानी तो हो रही है लेकिन बच्चों का भविष्य भी संवारना है। इसलिए बच्चों को गांव से दूर नेटवर्क क्षेत्र में भेजने को विवश है।
क्या कहते है जनप्रतिनिधि
क्षेत्र के प्रधान मोहन सिंह नेगी का कहना है कि प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री व उत्तराखंड के सीएम से लेकर विधायक तक को क्षेत्र को नेटवर्क से जोड़ने के लिए कई बार पत्राचार किया जा चुका है लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हो पायी है। तीन साल पूर्व केंद्रीय संचार मंत्रालय से एक पत्र का जबाव आया भी था उसके बाद उस पत्र पर क्या कार्रवाई हुई कुछ पता नहीं। ऐसे में क्षेत्र के बच्चों का भविष्य अंधकार मय बना हुआ है। वहीं संचार के अभाव में कई बार मरीज को 108 की सेवा भी उपलब्ध नहीं हो पाती है।
भाजपा के जिलाध्यक्ष व इसी क्षेत्र के निवासी रघुवीर सिंह बिष्ट का कहना है कि कई बार क्षेत्र को नेटवर्क से जोड़ने के लिए पत्राचार किया है। लॉक डाउन से पहले एक प्राइवेट नेटवर्क की कंपनी ने क्षेत्र में सर्वे भी किया था लेकिन लॉक डाउन होने के बाद उस पर कार्रवाई नहीं हो पायी। लॉक डाउन खुलने के बाद कुछ कार्रवाई होने की संभावना बनी हुई है।
बोले विधायक
चमोली जिले के संचार विहिन क्षेत्रों में टावर लगाये जाने के लिए केंद्रीय संचार मंत्रालय को पत्र भेजा गया है। वहां से इन क्षेत्रों में टावर लगाये जाने के लिए सकारात्मक जबाव आया है। जल्द ही इन सभी क्षेत्रों को संचार से जोड़ दिया जाएगा।
महेंद्र भट्ट, विधायक बदरीनाथ विधान सभा क्षेत्र
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