चमोली । कोरोना वाइरस के वैश्विक संकट की इस घड़ी में अपने अपने गांव वापस लौटे लोगों के लिए भले ही गांव के एकांतवास केंद्र में रहना अखर रहा हो। कई लोग इन केंद्रों में सुविधाओं को लेकर आक्रोशित हो परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने क्वारेंटाइन अवधि में अनुकरणीय कार्य करके एक उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहे है।
ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है चमोली जिले के गैरसैण विकास खंड के सारिंगगांव के तीन युवाओं ने। ये तीनों दोस्त हिमांचल प्रदेश में रोजगार के लिए गये थे। अब जब कोरोना संक्रमण के चलते हुए लाॅक डाउन के कारण इन्हें अपने गांव लौटना पड़ा तो इन तीनों की दोस्तों को गांव के प्राथमिक विद्यालय में एकांतवास किया गया है। तीनों युवा संजय सिंह पुत्र उमेद सिंह, वीरेंद्र सिंह पुत्र नारायण सिंह और खींम सिंह पुत्र नारायण ने इस एकांतवास के समय को बेहतर ढंग से गुजारने का मन बनाया और उन्होंने देखा प्राथमिक विद्यालय जो लाॅक डाउन के कारण दो माह से बंद है, उसके चारों ओर झाडियां उग आयी हैं वहीं विद्यालय में बनी फूलवारी भी बिना पानी के सूखने लगी है। ऐसे में तीनो लोगो ने मिलकर एकांतवास अवधि का सदुपयोग करते हुए विद्यालय की तस्वीर बदल डाली। उन्होंने विद्यालय के चारों ओर की झाडियां काट डाली, प्रांगण में उग आई घास को साफ करके पूरे विद्यालय परिसर की साफ सफाई कर दी और विद्यालय की फुलवारी को सुबह शाम पानी से सिंचाई कर फूलों के पौधों को सूखने से बचाया। वहीं दिवारों पर पेंटिंग कर उनकों सजाने संवारने का काम भी कर रहे है।
इस दौरान ग्राम प्रधान ऊषा गुसाईं और राजकीय प्राथमिक विद्यालय सारिगंगाव की अध्यापिका अल्पना नेगी जब एकांतवास में रह रहे युवाओं का हाल चाल जानने के लिए विद्यालय में पहुंची तो विद्यालय की तस्वीर को देखकर हतप्रभ हो गयी। उन्होंने तीनों लोगो की प्रशंसा करते हुए कहा कि तीनों ही युवा अन्य लोगों के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। एकांतवास में रह रहे युवा कहते है कि हर उस को एकांतवास के नियमों का पालन करना चाहिए जो बाहर से अपने गांव में आ रहा है। एकांतवास में घर जैसी सुविधा तो मिल नहीं सकती इसलिए जो मिल रहा है उसमें ही खुश रह कर कुछ रचनात्मक कार्य करने से मन को शुकुन मिलता है। एकांतवास में रहकर एक बेहतरीन कार्य कर रहे युवाओं की पूरी गांव ही नहीं बल्कि क्षेत्र में भी चर्चा हो रही है।
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