गोपेश्वर (चमोली)। चमोली जिले में सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित नंदा देवी पर्वत से ग्लेशियर टूटने से तपोवन क्षेत्र में खासा नुकसान हो गया है। घटना में क्षेत्र में ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी पर स्थित दो जल विद्युत परियोजनाओं को काफी क्षतिग्रस्त पहुंची है। साथ परियोजना निर्माण कार्य कर रहे मजदूरों के लापता होने की आशंका भी जतायी जा रही है। प्रशासन की ओर से घटना में लोगों की संख्या में हताहत होने की बात कही है। हालांकि संख्या को लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई है।
रविवार को ऋषिगंगा नदी के मुहाने की ओर जोरदार आवाज हुई और देखते ही देखते घाटी से पानी के साथ टनों मलबा घाटी से बहता हुआ तेजी से नीचे की ओर बहता दिखने लगा। जिससे यहां ऋषिगंगा नदी निर्मित जल विद्युत परियोजना तबाह हो गई और पानी के वेग से भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र के जोड़ने वाले जोशीमठ-मलारी हाईवे पर बना रैणी पुल भी क्षतिग्रस्त हो गया। देखते ही देखते यहां पानी ने रैणी गांव के समीप बने काली माता मंदिर को अपनी चपेट में ले लिया। जिसके बाद पानी का सैलाब तपोवन में निर्माणाधीन एनटीपीसी की जल विद्युत परियोजना के डेम साइड पर पहुंचा जहां पानी के साथ ही बह रहे टनों मलबे ने परियोजना को नेस्तोनाबूत कर दिया। घटना की सूचना तेजी से सोशल मीडिया से जिले और राज्य में वायरल होने लगी। जिसकी जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन ने जिले में अलर्ट घोषित कर अलकनंदा नदी के तटीय इलाकों को खाली करवाना शुरु कर दिया। हालांकि पानी के जोशीमठ पहुंचने तक पानी बहाव कम होने के साथ जल स्तर फैलाव के चलते कम हो गया और प्रशासन और स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली। वहीं प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंचकर घटना में हुए नुकसान का जायजा ले रहे हैं।