गोपेश्वर (चमोली)। जोशीमठ ब्लाॅक के तपोवन क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से यहां जोशीमठ-मलारी हाईवे पर रैंणी गांव के समीप पुल बह जाने से भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र के साथ ही 12 से अधिक गांवों का यातायात सम्पर्क टूट गया है। हालांकि यहां ग्रामीणों तक खाद्यान्न व अन्य वस्तुओं को पहुंचाने के लिये नुकसान का जायजा लने पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की ओर से अधिकारियों को हर संभव कार्य करने के निर्देश दे दिये हैं। वहीं सीमा सड़क संगठन की ओर से क्षेत्र में वैली ब्रिज निर्माण को लेकर स्थान को चयनित करने की प्रक्रिया शुरु कर दी है।
बता दें कि जोशीमठ-मलारी हाईवे नीति घाटी के 27 गंावों के साथ ही भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र के बाडाहोती क्षेत्र को यातायात सुविधा से जोड़ता है। ऐसे में यहां रैणी में हाईवे पर बने पुल के क्षतिग्रस्त होने से घाटी के गांवों और सीमा क्षेत्र का यातायात सम्पर्क बाहरी दुनिया से टूट गया है। हालांकि उच्च हिमालयी क्षेत्र के 15 गांवों के ग्रामीण इन दिनों अपने निचले क्षेत्रों के गांवों में निवास करते हैं। ऐसे में यहां शेष वर्षभर प्रवास वाले 12 गांवों में करीब 35 सौ की आबादी गांवों में निवास कर रही है। जिसके चलते शासन और प्रशासन के सम्मुख यहां ग्रामीणों तक खाद्यान्न के साथ ही अन्य सुविधाएं पहुंचाना भी चुनौती बन गया है। वहीं पुल के क्षतिग्रस्त होने से सीमा क्षेत्र में तैनाती सेना और आईटीबीपी को भी आवजाही में दिक्कतों सामना करना होगा।
क्या कहते है अधिकारी
ऋषिंगगा नदी में आई बाढ से जोशीमठ-मलारी हाईवे पर रैंणी की समीप पुल क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसकी वैकल्पिक व्यवस्था के लिये यहां वैली ब्रिज निर्माण का कार्य जल्द ही शुरु किया जाएगा। यहां मौके पर टीम को तैनात कर दिया गया है। भूमि चयनित होते ही यहां वैली ब्रिज का निर्माण का यातायात सुचारु कर लिया जाएगा।
कर्नल मनीष कपिल, कमांडर, बीआरओ, जोशीमठ।