- “महाजनो येन गतः स पन्था”
दिल्ली : जिस रास्ते पर महापुरुष, बड़े लोग, समझदार लोग चले हैं मनुष्यों को उसी रास्ते पर चलना चाहिए- दादा जी ने शिवि को समझाते हुए कहा| लेकिन क्यों बाबा? हम क्यों किसी और के चले रास्ते पर चलें? ऐसा इसलिए बेटा कि वे लोग जिन मार्गों से होकर गुजरे हैं और हमें उन मार्गों के बारे में बताया है तो हम ये भली भांति जान गए हैं कि यह मार्ग निष्कंटक है| इस मार्ग से चलकर जाने में अब कोई दिक्कत वाली बात नहीं होगी|
बाबा आप भी न, पता नहीं क्या कह रहे हैं| किसी और के पदचिन्हों पर मैं क्यों चलूँ| क्या मैं नक़ल करूँ किसी का| और बाबा आप ही तो कहते हैं न कि नकल करना बुरी बात है| और फिर इसमें एक और लोचा है बाबा| वह ये कि इस प्रकार से तो मैं कार्बन कॉपी बन कर रह जाऊँगा| तो क्या आप यह चाहेंगे कि मैं कुछ मौलिक बनने के बजाये कार्बन कॉपी बन कर रह जाऊं|
दादा जी को चुप देखकर शिवि ने कहा, बोलते क्यों नहीं हैं आप| बोलिये, मेरा मौलिक होना ही सही होगा न| आपने ही तो बताया है कि ईश्वर उन्हें ही प्रेम करते हैं जो सहज, सरल और मौलिक होते हैं| बाबा ने उसकी ओर देखते हुए कहा कि बात तो तुम सही कह रहे हो| क्या सही कह रहा है ये, जरा हम भी तो सुने- शिवि के पिताजी कमरे में प्रवेश करते हुए बोले|
अरे बचवा कुछ नहीं बस, ये जो तुम्हारा लड़िका है न, इसकी कुंडली में पंचम भाव में गुरु और राहु बैठे हैं और पंचमेश छठे भाव में है, तो ये उसी की झलक दिखा रहा है| स्वयं ही अपने मार्ग की खोज करेगा, उस मार्ग में आने वाली हर बाधाओं को स्वयं की सूझ बूझ से, स्वयं के परिश्रम से दूर करेगा और अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त करेगा| अकेला ही चलेगा| किसी और के दिखाए मार्ग पर नहीं चलेगा|
शिवि सोच रहा था कि अब तो बस पिताजी का लेक्चर सुनने मिलेगा कि हाँ ये आजकल के बच्चे, ये क्या जानें बड़े लोगों की कद्र करना, क्या मतलब है इनको उनसे| इनकी तो दुनिया ही निराली है….आदि.. आदि…
लेकिन उसकी सोच से ठीक उलट उसके पिता ने कहा – वाह! ये तो बहुत ही अच्छी बात कही इसने| प्रत्येक मनुष्य अद्वितीय है| अतुलनीय है| इसलिए अगर इसने किसी और के पदचिन्हों पर नहीं चलके, स्वयं के पदचिन्हों से अपना मार्ग खोजने की ठानी है, अपने लक्ष्य तक पहुँचने का roadmap तैयार किया है तो मेरा आशीर्वाद है कि यह अपनी तरंग पैदा करे और दुनिया को तरंगित करे|
है न बाबूजी- पिताजी ने बाबा से कहा|
हाँ बचवा! हमारा आशीर्वाद भी इसके साथ है|
शिवि को आज दो दो सुरक्षा कवच मिल गए|
लेखिका : कृष्णा नारायण, शिक्षाविद दिल्ली
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