देहरादून : शक्तिपन का अनुभव होने का अर्थ है, निर्भयता। निर्भय व्यक्ति माया के वार से बच जाता है। जो डरता है, वह हार खाता है। लेकिन जो निर्भय होता है, उससे माया खुद भयभीत रहती है। क्योंकि भय के कारण माया शक्ति और समझ खो देती है। इसी प्रकार जब हम भयभीत रहते हैं, तब हमारा होश-हवास गुम हो जाता है। हमारा समझ गुम हो जाती है।
इसलिये शक्तिपन की विशेषता है, हमारी निर्भयता प्रैक्टिकल में दिखाई दे। यदि किसी प्रकार का भय है तो उसे शक्ति नहीं करेंगे। जो अधीन होते हैं वह अधिकारी नहीं होते हैं। जहां कमजोरी है, वहां माया है। जहां गन्दगी है, वहां मच्छर हैं। वैसे ही कमजोरी होते ही माया का प्रवेश हो जाता है। अर्थात कमजोर होना माया का आह्वान करना।
कुम्भकरण को जगाने के लिये बड़ा नगाड़ा बजाना होगा। छोटा नगाड़ा बजाने पर कुम्भकरण की नींद सोने वाले केवल करवट बदलते हैं। इसलिये अब छोटे नगाड़े से काम नहीं चलेगा। यह उनका दोष नहीं है जो गहरी नींद में हैं। हम शक्ति सम्पन्न हैं, हमें विशेष प्रोग्राम बनाना होगा।
अव्यक्त बाप-दादा-महा वाक्य मुरली 24 अक्टूबर, 1975
लेखक : मनोज श्रीवास्तव, सहायक निदेशक सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग उत्तराखंड
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