posted on : मार्च 14, 2022 5:05 अपराह्न
कोटद्वार : उज्जवला सामाजिक संस्था ने चैत्र मास की पहली तिथि को फूलदेई त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया गया. गत वर्षो की भांति इस वर्ष भी उज्जवला सामाजिक संस्था ने पूरे हर्षोल्लास के साथ उत्तराखंड का लोक पर्व फूलदेई मनाया. प्रत्येक वर्ष बसंत ऋतु व हिंदू नव वर्ष के आगमन की खुशी में बच्चों द्वारा अपने गाव में प्रत्येक घर के दरवाजों पर फूल चढ़ाकर प्रकृति की पूजा की जाती है. गांव में फुल्यारी गीत गाने वाले बच्चों को लोग पकवान, मिष्ठान व दक्षिणा देकर उन्हें अपना अशीर्वाद देते हैं. चैत्र महीने में लोगों की घर की देहरी पर फूल रखकर खुशहाली और समृद्धि की कामना की जाती है। इस मौके पर बच्चे फूलदेई, छम्मा देई के गीत गाते हैं। एक माह तक सुबह-सुबह बच्चें और लड़कियां बांस की टोकरी पर फूल सजा कर घरों की देहरी पर रखती हैं। साथ ही इस दौरान लोकगीत भी सुनने को मिलते हैं। इसके बाद लोग इन्हें चावल, गुड़ और रुपये भेंट करते हैं।
उज्जवला सामाजिक संस्था की अध्यक्ष रश्मि सिंह ने बताया कि लोक पर्व फूलदेई फूलों के बहार के साथ ही नव वर्ष के आगमन का भी प्रतीक है. कई दिनों तक इस त्यौहार को मनाने के पीछे मनभावन बसंत के मौसम की शुरुआत भी मानी जाती है. सूर्य उगने से पहले फूल लाने की परंपरा है. इसके पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण है, क्योंकि सूर्य निकलने पर भंवरे फूलों पर मंडराने लगते हैं, जिसके बाद परागण एक फूल से दूसरे फूल में पहुंच जाते हैं और बीज बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. संस्था की अध्यक्ष रश्मि सिंह ने बताया कि फूलदेई का त्यौहार खुशी मनाने के साथ ही प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है। साथ ही बसंत के इस मौसम में हर तरफ फूल खिले होते हैं, फूलों से ही नए जीवन का सृजन होता है। चारों तरफ फैली इस बासंती बयार को उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर बच्चों की टीम में अपर्णा गुप्ता, सांची, महक और कशिश के साथ अन्य बच्चे शामिल रहे. कार्यक्रम में संस्था के सदस्य रेनू कोटनाला, सुनीता देवी, रजनी नेगी, सौरभ कश्यप रहे