हरिद्वार । उत्तरी हरिद्वार के एकता भवन में अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद् हरिद्वार इकाई के पदाधिकारियों की घोषणा के साथ नियुक्ति पत्र प्रदान किये। जिले की टीम में पं. विपिन कुमार शर्मा जिला अध्यक्ष, पं. राजीव पाराशर जिला संयोजक, पं. राजेश अवस्थी जिला प्रभारी, पं. जुगल किशोर पाठक, पं. सुमित कुमार भारद्वाज, पं. चन्द्र किशोर दुबे, पं. रविन्द्र उनियाल, पं. सचिन शर्मा जिला उपाध्यक्ष, पं. विकास शर्मा जिला महामंत्री, पं. आनन्द वर्थवाल, पं. शशिकान्त शर्मा, पं. कपिल शर्मा जौनसारी जिला संगठन मंत्री, पं. उमाकान्त ध्यानी कोषाध्यक्ष, पं. प्रमोद गिरि, पं. प्रशांत शर्मा शोसल मीडिया, पं. उदय कुमार पाण्डे, पं. रसपाल शर्मा, पं. प्रशांत शर्मा, पं. विजय ग्वाडी, पं. सिद्धार्थ कौशिक, पं. मनीष कपिल को जिला कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डॉ. प्रेम चन्द शास्त्री उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी, संरक्षक पं. बृजभूषण विद्यार्थी चिरंजीवी भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस मौके पर डॉ. प्रेमचन्द शास्त्री ने सभी नव नियुक्त पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि निःस्वार्थता के लिए संगठन में आना चाहिए, एक दूसरे पर कभी भी दोषारोपण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा ब्राह्मण ने हमेशा संसार के कल्याण की सोची है चाहे कोई कुछ भी कहता रहे ब्राह्मण ही पूरे जगत के लिए कल्याणकारी रहेगा।
परिषद के प्रदेश संयोजक पं. बालकृष्ण शास्त्री ने कार्ययोजना रखते हुए कहा कि अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद् का गठन ब्राह्मणों के स्वाभिमान की रक्षा करने, उनकी सुरक्षा, सहयोग एवं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली में संगठित समाज की ही आवाज सुनी जाती है। हमारे संगठित नहीं होने के कारण हमारी सर्वत्र उपेक्षा की जा रही है। हमारे पूर्वजों को लक्ष्य कर झूंठ एवं मनगढ़न्त कहानियां गढ़कर हमें निशाना बनाया जा रहा है और विभिन्न जातिवादी संगठन एवं राजनैतिक दल हमारे प्रति घृणा तथा द्वेष की भावना पैदा कर रहे हैं। राजनैतिक दलों में उपस्थित हमारे स्वजातीय नेता भी इस सम्बन्ध में चुप रहते हैं और प्रायः हमारे विरुद्ध पारित होने वाले नित नये नियम-कानूनों पर अपनी सहमति जताते हैं, क्योंकि वे जातीय गौरव से रहित एवं छुद्र स्वार्थ के लिए अपना स्वाभिमान दांव पर लगाकर राजनीति में आये हैं। जबकि दूसरी जातियों के नेता अपनी जाति एवं वर्ग के साथ खुलकर खड़े होते हैं, उनके सम्मेलनों में जाते हैं, उनकी मांगो के समर्थन में संसद एवं विधान सभाओं में आवाज बुलन्द करते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष पं. मनोज गौतम ने कहा कि अखिल भारतीय ब्राह्मण एकता परिषद् का गठन ब्राह्मणों के स्वाभिमान की रक्षा करने, उनकी सुरक्षा, सहयोग एवं जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में मार्गदर्शन प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें अब अपनी लेने की प्रवृत्ति बदल कर देने की बनानी चाहिए तभी हम समाज के कमजोर वर्ग की सहायता कर पायेंगे। डॉ. सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि हम जब तक बिखरे रहेंगे तब तक हमारी ताकत नहीं बनेगी। पं. बृजभूषण विद्यार्थी ने कहा कि परिषद ब्राह्मण संगठित करने की दिशा में उत्तम प्रयास कर रही है।
पं. राजेश शर्मा ने कहा कि हम संगठित होगे तभी समाज के लिए कोई बड़ा कार्य कर पायेंगे और हमें अपने को गौरवान्वित महसूस करना चाहिए कि हम ऐसे महान कुल में पैदा हुए हैं। पं. अनिल मिश्रा ने कहा कि हमारे समाज का जब कोई प्रतिनिधि चुनकर किसी स्थान को प्राप्त कर लेता तो वहां पहुंचने के बाद उसमें ब्राह्मण प्रवृत्ति समाप्त हो जाती है। इस अवसर पर पं. प्रदीप शर्मा, पं. राजेन्द्र गोस्वामी, पं. गगनदीप गोस्वामी, पं. ओंकार पाण्डेय, पं. ओमप्रकाश दधीचि, पं. इन्द्र पाल शर्मा, पं. नवीन चन्द्र सुयाल, पं. मोहित जोशी, पं. विवेक जोशी, पं. मोहित जोशी, पं. दिनेश गिरि, पं. अशोक कण्डवाल, पं. अभय शर्मा सहित जिले के सैकड़ों सदस्य उपस्थित रहे। अन्त में जिलाध्यक्ष पं. विपिन शर्मा ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
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